सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के लगभग तीन सौ इंजीनियरिंग कॉलेज, लाखों छात्रों और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) , उत्तर प्रदेश को बड़ी राहत दी है. अब सत्र शून्य होने का खतरा टल गया है. करीब डेढ़ महीने से रुकी काउंसिलिंग हो सकेगी. नए छात्रों को एडमिशन मिल सकेगा. कॉलेजेज की संबद्धता भी जारी रहेगी मतलब एकेटीयू पत्र जारी कर सकेगा.
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश संबद्ध इंजीनियरिंग कॉलेजों को संबद्धता लेटर समय से जारी नहीं कर पाया. यह पत्र हर साल जारी करने का नियम है. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने इसके लिए 31 जुलाई की तारीख तय की है. देश के बाकी सभी विश्वविद्यालय ऐसा करने में सफल रहे. संबद्धता लेटर जारी न होने का असर सीधा एडमिशन प्रॉसेस पर पड़ा.
AKTU Admission प्रोसेस का मामला
करीब 43 हजार स्टूडेंट्स ने बीटेक में एडमिशन के लिए खुद को पंजीकृत किया था लेकिन उसके बाद प्रॉसेस आगे नहीं बढ़ पाया. सत्र शून्य होने का खतरा आने के बाद एकेटीयू ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. बीते 21 अगस्त को उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने खारिज कर दी. संकट में फंसे ऑफिसर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की शरण में गए. शासन भी सक्रिय हुआ.
सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने की तैयारी के बीच मिसलिनियस बेंच ने बीते सोमवार मामला स्वीकार कर लिया. बुधवार को सुनवाई की तारीख तय हुई. वकीलों ने चार लाख छात्रों के भविष्य का हवाला दिया तो कोर्ट ने राहत दे दी. अब इसके औपचारिक आदेश शाम तक जारी होने की पूरी संभावना है. इसके बाद एकेटीयू की जिम्मेदारी यह बनेगी कि वह फटाफट सभी एलीजिबल कॉलेज को संबद्धता पत्र जारी करें. समानांतर रूप से एडमिशन के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया तेज करें. उम्मीद की जानी चाहिए कि अब एकेटीयू किसी भी तरह की हीलाहवाली नहीं करेगा.
AKTU की साख पर बट्टा
एकेटीयू की साख पर बट्टा लग चुका है. जो सरकारी विश्वविद्यालय एकेटीयू की काउंसिलिंग के माध्यम से एडमिशन लेते थे, उनमें से लखनऊ विश्वविद्यालय ने देरी को देखते हुए अलग से नोटिफिकेशन जारी कर दिया. ख्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय ने भी अलग से एडमिशन का फैसला कर लिया है. कानपुर विश्वविद्यालय पहले ही खुद को अलग कर चुका था. वहां न केवल एडमिशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है बल्कि पढ़ाई शुरू हुए करीब दो महीने हो गए.
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सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से बड़ी राहत निजी कॉलेजों को मिली है, क्योंकि उन्होंने एडमिशन ले रखा है. काउंसिलिंग से भी बच्चे उनके यहां एडमिशन लेते हैं. सेशन जरूर लेट होगा लेकिन अब एडमिशन के लिए धरना-प्रदर्शन की नौबत नहीं आएगी.