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बाइक बोट: ED की रडार पर आरोपी बसपा नेता संजय भाटी की पत्नी और कंपनी के 5 डायरेक्टर

Bike Bot

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उत्तर प्रदेश के चर्चित बाइक बोट घोटाला  मामले आर्थिक अपराध शाखा, यूपी स्पेशल टास्क फोर्स और प्रवर्तन निदेशालय  ने तेजी से जांच शुरू कर दी हैं। जांच एजेंसी के निशाने पर बसपा नेता संजय भाटी है। जानकारी के अनुसार संजय भाटी की पत्नी दीप्ती बहल समेत कंपनी के 5 निदेशक भी राडार पर हैं। आरोपितों तक पहुंचने के लिए ईडी अब ईओडब्ल्यू और यूपी एसटीएफ की भी मदद ले रही है। जांच में निवेशकों के पैसों से जुटाई गई संपत्तियों का ब्यौरा भी जुटाया गया है। जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू ने बाइक घोटाले से जुड़ी कई जानकारियां ईडी से साझा की है।

बता दें हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पिछले दिनों हापुड़ से मनोज त्यागी को गिरफ्तार किया। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मनोज त्यागी पर शिंकजा कसा है। ईडी की टीम ने मेसर्स एफ7 ब्रॉडकास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पूर्व निदेशक मनोज त्यागी के यहां छापेमारी की। ईडी के मुताबिक मनोज त्यागी को धनशोधन रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है।

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मनोज त्यागी की भूमिका ‘बाइक बोट’ मामले में जांच के घेरे में है, जो उसकी प्रमोटर कंपनी गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड से जुड़ी है। मनोज त्यागी इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक विजेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी सहयोगी है। उसे करोड़ों रुपये के वित्तीय लेनदेन में सुविधा पहुंचाने और मामले से जुड़े भौतिक तथ्यों को छिपाने तथा एजेंसी को गुमराह करने के लिए गिरफ्तार किया गया है।

दरअसल इस फर्जीवाड़े मामले में कई कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका की जानकारी मिली। उन कंपनियों के निदेशक विंजिदर सिंह उर्फ विंजिंदर हुड्डा बताए गए थे लेकिन बाद में उन तमाम कंपनियों को पूर्व बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता संजय भाटी ने खरीद लिया था। ईडी ने अभी तक कुल 26 अचल संपत्तियों को अटैच किया है। अटैच की गई ये संपत्तियां यूपी के कानपुर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर और मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित हैं। इस कंपनी के 22 बैंक एकाउंट को भी खंगालते हुए जांच एजेंसी कार्रवाई कर रही है।

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साल 2019 में ईडी ने इस मामले में PMLA कानून के तहत यूपी के कई इलाकों में दर्ज एफआईआर को आधार बनाते हुए इस केस को टेकओवर किया था। उसके बाद इस मामले को दर्ज करने के बाद यूपी सहित दिल्ली और मध्य प्रदेश में छापेमारी की थी।

बाइक-बोट घोटाला को साधारण शब्दों में इस तरह समझा जा सकता है कि ओला और उबर जैसी कंपनियों की तर्ज पर बाइक टैक्सी चलवाने का झांसा देकर एक प्रोजेक्ट लांच करवाने की तैयारी की घोषणा की गई थी. इसका झांसा देकर हजारों-लाखों निवेशकों से करोड़ों रूपये की ठगी की गई थी। ईडी के मुताबिक बाइक-बोट कंपनी ने करीब 1 लाख 75 हजार निवेशकों को काफी मोटे मुनाफे का लालच देकर करीब 3000 रुपये का निवेश करवाया। लोगों से पैसे निवेश करवाने के बाद उस फंड को फर्जी कंपनियों और ट्रस्ट में दान के नाम पर सारी रकम खपा दी गई। उसके बाद उस दान वाली रकम को कुछ कमीशन देकर संचालकों ने फिर से घुमाकर अपने खातों में ले लिया था। इस मनी ट्रेल को खंगालते हुए ईडी की टीम कार्रवाई कर रही है।

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