कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है।
एक तरफ विकास दुबे के अपराधों का सहयोगी मानते हुए जय बाजपेई पर पुलिस पहलेे ही कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कानपुर देहात के माती जेल भेज चुकी है तो वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो अब उसके पुराने कारनामे जो पुलिस की मदद से दब गए थे अब वह दोबारा खोले जा रहे हैं और नए सिरे से जांच होने की भी बात कही जा रही है।
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एक बात तो स्पष्ट है खजांची जय बाजपेई की मुश्किलें अभी और बढ़ेंगी और दबे हुए जुर्म भी खुलकर अब बाहर आएंगे।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खजांची जय बाजपेयी ने जिन मुकदमों में मिलीभगत कर फाइनल रिपोर्ट लगवा ली थी उनमें दोबारा जांच शुरू हो गई है। आइजी के आदेश पर एसएसपी ने जय बाजपेई से जुड़े मामलों में दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस अब जय बाजपेई के पुराने मामलों को भी तलाशने में जुट गई है।
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पुलिस से मिल रही जानकारी के अनुसार कन्नौज के तत्कालीन एएसपी के.सी गोस्वामी की रिपोर्ट जय बाजपेई के लिए मुसीबत बन सकती है। एएसपी ने पहले ही जांच रिपोर्ट में कई मुकदमों पर सवाल खड़े किए थे।उन्होंने बजरिया और नजीराबाद थाने में दर्ज मुकदमों में जांच किसी अन्य थाने से कराने की संस्तुति की थी।इसके अलावा नजीराबाद थाने में दर्ज मुकदमा भी सवालों के घेरे में है।
यह मुकदमे जय बाजपेई और उसके विरोधी सौरभ भदौरिया पक्षों के आपस में पथराव को लेकर दर्ज हुए थे।पहला मुकदमा सौरभ के पक्ष से विशाल कुरील ने दर्ज कराया,जबकि क्रास एफआइआर जय की तरफ से प्रिंस सोनकर ने दर्ज कराई थी,जबकि तीसरा मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया।इन मुकदमों की जांच में जय के पक्ष को लाभ दिया गया था। जिसको लेकर दूसरे पक्ष ने विरोध भी किया था और मामला हाई कोर्ट पहुंच गया था। लेकिन अब पुलिस की नजर टेढ़ी हो गई है और बंद हो चुके मामलों की जांच दोबारा करने की तैयारी पुलिस कर चुकी है।