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बिकरू कांड: पूर्व SSP अनंत देव के निलंबन से दोषी अधिकारियों की रातों की नींद उड़ी

अनंत देव सस्पेंड Former SSP of Kanpur Anant Dev suspended

अनंत देव सस्पेंड

चर्चित बिकरू कांड की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से ही ये तय माना जा रहा था कि तत्कालीन एसएसपी अनंत देव पर कार्रवाई निश्चित है। अनंत देव पर गुरूवार को कार्रवाई होने के बाद एसआईटी जांच में जो और अधिकारी और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है, उनकी रातों की नींद उड़ी हुई है।

दरअसल एसआईटी ने शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के एक पत्र और कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर इस जांच में कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। थानेदारों की ट्रांसफर, पोस्टिंग से जुड़े मामलों में भी जांच की सिफारिश की गई थी।

वायरल आॅडियो में सीओ ने लगाये थे अनंत देव पर गंभीर आरोप

दरअसल, बिकरू कांड में शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा का एक आॅडियो वायरल हुआ था। इस आॅडियो में बिकरू में रेड पर जाने से पहले सीओ देवेंद्र मिश्रा और एसपी ग्रामीण के बीच फोन पर बातचीत है। इसमें देवेंद्र मिश्रा चौबेपुर एसओ और पूर्व एसएसपी अनंत देव पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

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सीओ ने एसपी ग्रामीण से कहा था कि पुराने एसएसपी अनंत देव ने एसओ विनय तिवारी पर हाथ रखा है। अनंत देव की वजह से ही विनय तिवारी बोलना सीख गया है। उन्होंने एसपी ग्रामीण को यह नही जानकारी दी थी कि विनय तिवारी डेढ़ लाख रुपए महीने लेकर जुआ खेलाता था। शिकायत पर भी विनय तिवारी पर कार्रवाई नहीं होती थी। यही नहीं एसओ ने जुआ खेलाने वाले से 5 लाख रुपये अनंत देव तिवारी को दिए थे।

सीओ देवेंद्र मिश्रा और एसपी ग्रामीण बीके श्रीवास्तव के बीच की बातचीत के प्रमुख अंश…

– चौबेपुर एसओ विनय तिवारी ने दबिश से पहले सीओ को कॉल करके साथ चलने के लिए बनाया था दबाव।

सीओ ने एसपी देहात बीके श्रीवास्तव को दी थी एसओ की इस बात की जानकारी।

– सीओ ने एसपी देहात को बताया था कि एसओ विनय तिवारी, विकास दुबे के न सिर्फ पैर छूता है बल्कि दबिश की सूचना अब तक विकास दुबे को विनय तिवारी ने दे दी होगी। पहले वाले एसएसपी अनंतदेव तिवारी का लाडला एसओ था विनय तिवारी।

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– 1.5 लाख रुपये लेकर अपने थाना क्षेत्र में जुआ कराने का आरोप भी सीओ ने एसपी देहात से बातचीत में एसओ पर लगाया था।

– सीओ ने कहा था कि मैंने एसओ से जुआ बन्द कराने को बोला था, अलग थाने का फोर्स लेकर छापा •ाी मारा था, जुआ पकड़ा भी, लेकिन एसएसपी को 5 लाख रुपये देकर मामला सेट करा लिया।

– सीओ का आरोप – इसके बाद विनय तिवारी की सभी जांच खत्म हो गई।

– सीओ देवेंद्र मिश्र – विकास दुबे को अब तक एसओ ने कॉल करके बता दिया होगा कि सीओ दबिश देने आ रहा है, एसओ ने अबतक कह दिया होगा कि तुम सब लोग भाग जाओ अपने घरों से।

दरअसल, कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए बिकरू गांव पहुंची पुलिस टीम पर हमले में शहीद आठ पुलिसकर्मियों में से एक सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर तत्कालीन एसएसपी और मौजूदा डीआइजी अनंत देव तिवारी जांच के घेरे में आ गए थे, जिसके बाद पूरे प्रकरण की जांच विशेष जांच दल को सौंपी गई थी। पिछले दिनों विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी थी, जिसमें डीआइजी अनंत देव के खिलाफ जांच की सिफारिश की गई थी।

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कानपुर के बिकरु गांव में दो जुलाई की रात हुए शूटआउट मामले में एसआईटी ने 3500 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में पुलिस और अपराधियों के बीच गठजोड़ के अहम खुलासे किए हैं। जांच में तत्कालीन एसएसपी रहे डीआईजी अनंत देव त्रिपाठी पर भ्रष्टाचार व पक्षपात के आरोप लगे थे, जो एसआईटी की जांच में पुख्ता भी मिले हैं। उन पर कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इससे पहले आईजी रेंज लखनऊ के द्वारा जांच में भी अनंत देव त्रिपाठी की भूमिका और दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्र के द्वारा लिखे गए पत्र की पुष्टि किए जाने की बात सामने आई थी।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कानपुर शूटआउट की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्ड़ी को एसआईटी का अध्यक्ष बनाया गया था। इसके अलावा एडीजी एचआर शर्मा और आईजी जे. रवींद्र गौड़ एसआईटी के सदस्य थे। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस राजस्व और आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की विकास दुबे से सांठ-गांठ के तमाम पुख्ता प्रमाण जुटाए थे।

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करीब 60 अधिकारियों के नाम और उनकी विकास दुबे के साथ रिश्तों के बारे में एसआईटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट दी थी। इनमें से अधिकतर पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी हैं। जिन्होंने विकास दुबे के काले कारनामों में साथ देने के अलावा उसे संरक्षण दे रखा था। बिकरु कांड में आठ पुलिसकर्मियों को मौत की नींद सुलाने वाले विकास दुबे को ये अधिकारी और कर्मचारी पुलिस की गतिविधियों के बारे में सूचनाएं देते थे। साथ ही विकास दुबे के आपराधिक कृत्यों पर मदद करते थे।

इसकी वजह से विकास दुबे का हौसला बढ़ता चला गया और नतीजतन बिकरु कांड घटित हो गया। इन पुलिस अधिकारियों की मदद से विकास दुबे के खिलाफ चल रहे मुकदमों में प्रभावी पैरवी तक नहीं हो पाती थी। एसआईटी ने विकास दुबे के बीते एक साल के सीडीआर को खंगालने के बाद ऐसे पुलिसकर्मियों को चिन्हित किया, जिनमें से अधिकतर चौबेपुर थाने से संबंधित हैं।

क्या था कानपुर शूटआउट?

कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। अगली सुबह से ही यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई थी। 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। 10 जुलाई की सुबह कानपुर से 17 किमी पहले पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया था। इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी विकास दुबे समेत छह एनकाउंटर में मारे गए।

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