बिकरू कांड की एसआईटी जांच रिपोर्ट में कई बड़े अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश हुई है। इसमें कानपुर शहर में तैनात रह चुके चार आईपीएस (दो एसएसपी) और पीपीएस अफसर के अलावा जिला पूर्ति अधिकारी, तहसीलदार से लेकर पुलिस प्रशासन के कई अफसर शामिल हैं। इनमें कई विकास दूबे के करीबी जय बाजपेई के खास रहे हैं, उनको भी एसआईटी ने दोषी माना है।
शासन के सूत्रों के मुताबिक इन चार आईपीएस में कानपुर के दो पूर्व एसएसपी से लेकर पूर्व एसपी पश्चिम शामिल हैं। पूर्व एसपी पश्चिमी वर्तमान में एक जिले के एसएसपी हैं। बताया जा रहा है कि बिकरू कांड की जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक जिन चार आईपीएस और चार पीपीएस अफसरों को जांच में शामिल किया गया है, उन सभी की अलग-अलग भूमिका साक्ष्यों के तौर पर पेश की गई है।
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एसआईटी ने इसका जिक्र किया है कि आखिर जब विकास पर पांच दर्जन से अधिक संगीन मामले दर्ज थे तो उसको टॉप- 10 में शामिल क्यों नहीं किया गया था। जमानत खारिज कराने के लिए पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की। इसमें दो पूर्व एसएसपी को जिम्मेदार बनाया गया है। तत्कालीन क्षेत्राधिकारी और थानेदारों के भी इसमें नाम हैं। इसके अलावा एएसपी औरैया की जांच रिपोर्ट पर जय बाजपेई पर कार्रवाई न करने पर एक अन्य पूर्व एसएसपी की संलिप्तता मानी गई है।
बिकरू कांड के बाद शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र का एक पत्र वायरल हुआ था जिसमें तत्कालीन चौबेपुर एसओ और बिकरू कांड के आरोपी विनय तिवारी पर कार्रवाई करने की सिफारिश की गई थी। एसआईटी ने इसको जांच में शामिल किया है। साथ ही ये भी तथ्य है कि आठ बार सीओ की सिफारिश को नजरअंदाज कर एसओ को बचाया गया।
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इसमें पूर्व एसएसपी को दोषी बनाया गया है जिनकी वर्तमान में मुरादबाद पीएसी में तैनाती है। विकास पर दर्ज मुकदमे में से रंगदारी की धारा हटाने में भी इन्हीं एसएसपी को दोषी बताया गया है। दबिश में लापरवाही बरतने में तत्कालीन एसएसपी और वर्तमान में झांसी एसएसपी की भूमिका मानी गई है।
उधर, विकास दुबे, जय बाजपेई समेत उसके कई गुर्गों पर केस दर्ज होने के बावजूद लाइसेंसी असलहे थे। इसको एसआईटी ने बेहद गंभीरता से लिया है। इसमें थानेदार, एलआईयू और राजस्व के अफसरों को दोषी बनाया गया है जिन्होंने इसमें सत्यापन की रिपोर्ट अपराधियों के पक्ष में लगाई। इसके अलावा जिला पूर्ति अधिकारी की बड़ी भूमिका जांच में सामने आई है। उसकी मिली भगत से ही विकास दुबे मनमाफिक राशन कोटे चलाता था। जमीनों पर कब्जे के मामले में तहसीलदार और लेखपाल दोषी पाए गए हैं।