लखनऊ। लगभग तीस साल पूर्व जब चुनाव आते थे तो प्रचार की गाड़ियों को देखते ही बच्चे दौड़ पड़ते थे। गाड़ियों से पर्चे फेंके जाते थे और लड़के उसे घर पर देते थे। घर की महिलाएं उसे देखकर चुनाव चिह्न की पहचान करती थीं। लोगों की भावनाएं बदलने के इस तरह की सैकड़ों नुख्शे राजनीतिक दल अपनाते थे, लेकिन अब वे जमाने की बात हो गयी है। टेक्नोलाजी ने अब वाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया के जरिये उसे बदल दिया है। इसके बावजूद भाजपा उन पुरानी पद्धतियों को आज भी बनाए रखना चाहती है। यही कारण है कि भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत अन्य नेता आज भी दीवालों पर पेंटिंग करते नजर आते हैं।
उत्तर प्रदेश में देखा जाय तो आज भी ग्रामीण इलाकों में साठ प्रतिशत से अधिक लोग सोशल मीडिया से दूर हैं। ऐसे लोगों तक प्रचार का माध्यम पुरानी पद्धतियां ही हो सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि वहां बैठकों के माध्यम से उन्हें योजनाओं और भाजपा (BJP) की नीतियों के बारे में बताया जाय। इसके लिए भाजपा ने बूथ स्तर पर बैठक कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही उन्हें सरकार की जनहितकारी योजनाओं को बताने का तरीका अपनाया है। इसके साथ ही पर्चा बांटकर योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने की पद्धति भी नहीं छोड़ी है।
आज 43 साल की हो चुकी भाजपा (BJP) ने फिर से वाल पेंटिंग की शुरूआत कर दी है। इसके माध्यम से वह हर घर तक सरकारी योजनाओं को पहुंचायेगी। दीवारों पर भाजपा की नीतियों और कमल के फूल के निशान होंगे। इससे उन लोगों को भी प्रभावित किया जा सकता है, जो सोशल मीडिया से दूर हैं।
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हर्ष वर्धन त्रिपाठी का कहना है कि कोई भी तरीका या डिजाईन पुराना नहीं होता है। जो आज पुराना है, कल वही नये माॅडल में आकर पुन: प्रचलन में शुरू हो जाएगा और नया कहलाएगा। उन्होंने कहा कि पहले बहुत सारे लोग सिर्फ कांग्रेस का नाम जानते थे। इस कारण वे प्रत्याशी को न जानने पर भी जाकर हाथ चुनाव निशान पर वोट दे आते थे। आज वही स्थिति भाजपा के पक्ष में होती जा रही है। यह प्रचार के विभिन्न माध्यमों से हर व्यक्ति के दिलो-दिमाग में बने रहना चाहती है।
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राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि तरीका चाहे जो हो, हर वक्त कार्यकर्ताओं और आम लोगों को भाजपा के बारे में सर्वाधिक जानकारी देने से भाजपा शिखर पर पहुंचती जा रही है। दूसरी पार्टियां अभी सोचती हैं, तब तक भाजपा उस कार्य में बहुत आगे पहुंच चुकी होती है।