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महंगाई की आग में गरीबों को हर दिन जला रही है भाजपा सरकार : अखिलेश

akhilesh yadav

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समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अपने हर वादे को कूड़े के ढेर में फेंक देने वाली भाजपा ने संकल्प-पत्र (घोषणा-पत्र) में मंहगाई और भ्रष्टाचार कम करने की घोषणा जोरशोर से की थी। लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने हर दिन लोगों को मंहगाई की आग में जलाया है।

श्री यादव ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा सरकार जाने किस अपराध में जनसाधारण को ज्यादा से ज्यादा तकलीफें देने पर आमादा है। अभी जितनी महंगाई है उससे ही लोगों की कमर टूट गई है अब उस पर और ज्यादा जुल्म करने का भी इरादा हो गया है। गरीब तो पहले से ही सांसे गिन रहा था अब मध्यमवर्ग को भी मिटाने की योजना पर अमल शुरू हो गया है।

उन्होने कहा कि ताजी सूचना है कि त्योहार के मौसम में पेट्रोल-डीजल के साथ रसोई गैस के दाम और ज्यादा बढ़ सकते हैं। सरकार के आंतरिक सर्वे में आया है कि उपभोक्ता एक हजार रूपए का सिलेंडर भी खरीद सकते हैं। पेट्रोल-डीजल के दामों में भारी बढ़ोत्तरी के बाद परिवहन की दरों में भारी उछाल आया है और आवागमन मंहगा हुआ है। डीजल खेती के काम में इस्तेमाल होता है जिससे सिंचाई की लागत भी बढ़ गई है। वैसे भी किसान बदहाल है उसे न तो फसल का लागत मूल्य मिल रहा है और नहीं प्रधानमंत्री के वादे की दुगनी आय हासिल हुई। किसान को न ही एमएसपी मिली और नहीं अतिवृष्टि, बाढ़, जल भराव के कष्ट पर मुआवजा मिला।

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सपा अध्यक्ष ने कहा कि करोड़ों मुफ्त गैस कनेक्शन का ढिंढोरा पीटने वाले मुख्यमंत्री जनता से तो रूबरू होते नहीं इसलिए उन्हें लोगों की मुश्किलों की जानकारी ही नहीं होती है। वे इसलिए अपना राग अकेले ही अलापते रहते हैं। गरीब परिवार ‘उज्जवला‘ के मंहगे सिलेंडर भरवाने में असक्षम है। अभी गैस सिलेंडर 190.50 रूपये मंहगा हो गया है। सरकार इसके दाम और बढ़ाकर जनता के धैर्य की परीक्षा लेने पर आमादा है।

उन्होने कहा कि गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने के नाम पर उज्ज्वला योजना के आंकड़े बढ़-चढ़कर बताये जाते हैं पर जमीनी हकीकत यह है कि तमाम लाभार्थी जो गरीब और मजदूर है दुबारा अपना सिलेंडर रिफिल नहीं करा पाए हैं। घरों में औरतें आज भी रसोई में चूल्हें में फूंककर रोटी पकाती हैं और बदले में चूल्हें का धुआं उनके फेफड़ों को रोज संक्रमित करता है। बताते हैं 78 फीसदी से ज्यादा परिवार फिर लकड़ी जलाकर खाना बनाने लगे है। देशी चूल्हें ही गांवों में काम आ रहे हैं।

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