• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

कृषि कानून में नहीं,राजनीति में कालापन

Desk by Desk
11/02/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, राष्ट्रीय
0
कृषि कानून agricultural law

कृषि कानून

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

सियाराम पांडेय ‘शांत’ 

किसान आंदोलन सुर्खियों में है। सड़क से लेकर संसद तक किसान आंदोलन  चर्चा के केंद्र में है। केंद्र सरकार द्वारा पास तीन कृषि कानूनों का विरोध हो रहा है।उसे काला कानून बताया जा रहा है,उसे वापस लेने की मांग की जा रही है।जो दल आज कह रहा है कि सत्ता में आए तो तीनों कानून रद करेंगे,जब उस दल की सरकार थी तो इसी तरह का कानून लाने की वकालत कर रही थी। आज वह विपक्ष में है तो इसे इस कानून में काला नजर आ रहा है।

सत्ता पक्ष कह रहा है कि रंग नहीं,कानून का संदर्भ देखो।विरोध में संदर्भ देखने की परंपरा नहीं है।विरोध तो बस खत्म करने में यकीन रखता है।आर-पार ही जाए,बस इतनी ही विरोधी की चाहत होती है और इसके लिए वह पूरी ताकत लगा देता है। वह सत्तारूढ़ दल के नेता का सीना ही नहीं,दिल भी नापता रहता है। चिकित्सा विज्ञानी दिल की नाप बेहतर जानते हैं। उन्हें पता है कि दिल के छोटे-बड़े होने पर क्या होता है।आदमी का जीना मुश्किल हो जाता है। शरीर रुग्ण हो जाता है। अगर किसी नेता का दिल छोटा है तो यह उसके विरोधियों के लिए अच्छी बात है। इसमें परेशान होने की बात नहीं है।विपक्ष का तर्क है कि वह केवल अपने खरबपति मित्रों के लिए धड़कता है। किसानों के लिए बिल्कुल नहीं धड़कता।

दिल की दिक्कत यह है कि उसे केवल धड़कना है। वह किसके लिए धड़कता है,यह तो वह भी नहीं जानता।दिल अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता तो वह किसके लिए धड़कता है,यह किसी को बताए भी तो किस तरह। दिल धड़क सकता है,मगर बोल नहीं सकता। किसान नेताओं के अपने तर्क हैं।न मंच टूटेगा और न किसान मोर्चा टूटेगा। 26 जनवरी से भी बड़ा आंदोलन होगा।पहले चार लाख ट्रैक्टर लाए थे,अब चालीस लाख लाएंगे।लगे हाथ यह भी बता दें कि पहले लालकिला पर हमला किया था।अब कहीं और करेंगे। एक किसान नेता कह रहा है कि सरकार गिराने का उसका इरादा नहीं,सरकार बस किसानों की समस्या हल करे। किसान मोर्चा के दो नेता कह रहे कि जब हरियाणा सरकार गिरेगी तब केंद्र को किसानों की ताकत का पता चलेगा। बात जोर आजमाइश की हो रही है। समूचा किसान आंदोलन भटका हुआ है। सत्ता पक्ष को पता है कि यह आंदोलन सभी किसानों का नहीं है।मुट्ठी भर बड़े किसानों का है लेकिन इसके बाद भी वह उसे पवित्र मानती है।

लेकिन इसके राजनीतिकरण को लेकर वह परेशान भी है।प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि माओवादियों,खालिस्तानी आतंकवादियों की रिहाई की मांग कर  आन्दोलनजीवियों ने किसानों के आंदोलन को अपवित्र कर दिया है।टेलीफोन वायर तोड़ने,टोल प्लाजा पर कब्जा करने पर उन्होनें चिंता जाहिर की है। आन्दोलनजीवियों पर निशाना भी साधा है,यह भी कहा है कि जो लोग अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर पाते,वे किसी के भी आंदोलन का हिस्सा बन जाते हैं। चौधरी चरण सिंह,डॉ. मनमोहन सिंह के नजरिये का उल्लेख कर उन्होंने आन्दोलनजीवियों को आइना भी दिखाया है।

कांग्रेस पर तो सीधा हमला किया है और यहां तक कह दिया है कि कांग्रेस न अपना भला कर सकती है और न देश का।संसद में हंगामे की वजह उन्होंने विपक्ष के भय को बताई है।उनके हिसाब से हंगामा इसलिए हो रहा है कि कुछ लोग चाहते हैं कि जो झूठ किसान कानूनों को लेकर उन्होंने फैलाया है,उसे लोग जान न जाएं।उसका पर्दाफाश न हो जाए। उन्होंने किसानों से भी यह पूछा है  कि नए कानूनों के पास होने के बाद उनका कौनसा पूर्व अधिकार छिन गया है। उन्होंने विपक्ष के तर्कों पर भी प्रहार किया है कि जब किसान कृषि सुधार कानून मांग ही नहीं रहे तो आप कानून क्यो ले आए।इस पर प्रधानमंत्री ने कहा है कि मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री ने आन्दोलनजीवियों और आंदोलनकारियों के बीच का फर्क किए जाने पर जोर दिया है।

अजीत हत्याकांड में आरोपी इनामी शूटर बंधन ने कोर्ट में किया सरेंडर

इससे सबक लेने की बजाय राजनीतिक दल हम भी आन्दोलनजीवी की बांग लगाने लगे हैं।कुछ खुद को आन्दोलनवादी कहने लगे हैं।आंदोलन पवित्र तभी होता है,जब उसमें मिलावट न हो।राजनीतिक घालमेल न हो।इस आंदोलन  को तो पहले दिन से ही राजनीतिक समर्थन रहा है।आज भी है।किसान आंदोलन तो बहाना है,निशाना तो कहीं और ही है।जिस तरह इस आंदोलन को विदेशी फंडिंग हो रही है,उसे भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।राकेश टिकैत एक ओर तो यह कहते नजर आते हैं कि सरकार आंदोलन को लंबा खींचना चाहती है,दूसरी ओर वह खुद अक्टूबर-नवम्बर तक आंदोलन को चलाने कीबात कर रहे हैं। इस विरोधाभास को किस तरह देखा जाएगा?

किसान आंदोलन के चलते विपक्ष देश में,खासकर उत्तरप्रदेश में अपनी राजनीतिक जड़ें मजबूत करना चाहता है लेकिन जनता सब जानती है कि कौन क्या कर रहा है।कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ,यह भी किसी से छिपा नहीं है। अच्छा होता कि आंदोलन की पवित्रता,अपवित्रता के मकड़जाल में फंसने की बजाय उसे खत्म करने-करने पर विचार होता।अर्द्ध सत्य दुख ही देते हैं,इसे जितनी जल्दी समझ लिया जाएगा,उतना ही उचित होगा। जब सर्वत्र ताकत दिखाने का खेल चल रहा हो,तो स्याह-सफेद होना स्वाभाविकहै।कानून काला नहीं है,कालिमा तो मन में है,उसका शोधन होना चाहिए।जब सब पैतरे पर हों तो बात वैसे भी नहीं बनती।राजनीतिक दल अपनी फितरती पैतरों से बाज आएं,तभी इस देश के किसानों का भला हो सकेगा।आशंकाओं की राजनीति इस देश का बेड़ा गर्क ही करेगी

 

 

Tags: Blackness in politicsnot in agricultural lawकृषि कानून में नहींराजनीति में कालापन
Previous Post

भारत-चीन संबंधों की पिघलती बर्फ, भारतीय हुक्मरानों को फिर भी सतर्क रहना चाहिए

Next Post

प्लाईवुड फैक्ट्री में लगी भीषण आग, लाखों का समान जलकर खाक

Desk

Desk

Related Posts

piyush goyal, cm yogi
उत्तर प्रदेश

GeM पर यूपी बना अग्रणी राज्य, केंद्र सरकार ने यूपी मॉडल को सराहा

18/06/2025
Ruckus over vacating SP office, district president in custody
Main Slider

सपा कार्यालय खाली कराने पर हंगामा, जिलाध्यक्ष समेत 15 पदाधिकारी हिरासत में

18/06/2025
CM Yogi heard the problems of 200 people
Main Slider

बेफिक्र कराएं इलाज, सरकार करेगी भरपूर मदद: मुख्यमंत्री

18/06/2025
Kala Jathedi
Main Slider

जेल में बंद गैंगस्टर काला जठेड़ी के घर में गूजेंगी किलकारी, बच्चा पैदा करने के लिए कोर्ट ने दी मंजूरी

18/06/2025
Free health camp for journalists and their family members
Main Slider

पत्रकारों के लिए मुख्यमंत्री धामी की पहल — देहरादून में विशेष स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन

17/06/2025
Next Post
fire brokeout

प्लाईवुड फैक्ट्री में लगी भीषण आग, लाखों का समान जलकर खाक

यह भी पढ़ें

Saurabh Bahuguna

सौरभ बहुगुणा ने गोवंश भरण पोषण हेतु वितरित किए 10 करोड़ की धनराशि के चेक वितरित

05/12/2022
pressure cooker

कुकर की रबर हो गई है ढीली, तो टाइट करने के लिए अपनाएं ये तरीके

10/01/2024
arrested

ट्रक की स्टेफनी में छुपा कर ले जा रही करोड़ों की हेरोइन बरामद, चालक-क्लीनर गिरफ्तार

29/10/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version