• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

60 साल की है चुनाव में लगने वाली नीली स्याही, जानिए इसका इतिहास

Writer D by Writer D
10/02/2022
in शिक्षा
0
Lok Sabha Election

Lok Sabha Election

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

नई दिल्ली। अगर आप वोट डाल रहे हों तो आपकी अंगुलियों में नीले रंग की एक अमिट स्याही (Blue ink) लगाई जाती है। अंगुली पर नीले रंग की स्याही ((Blue ink)) का ये निशान अब हमारे चुनावी प्रतीकों में माना जाता है। यह निशान बताता है कि किसने वोट (vote) डाला है और किसने नहीं। यह निशान 15 दिनों से पहले नहीं मिट सकता। ऐसा क्या होता है इस स्याही में और क्या है इसका इतिहास, आइए जानते हैं।

कर्नाटक में एक जगह है मैसूर। इस जगह पर पहले वाडियार राजवंश का राज चलता था। आजादी से पहले इसके शासक महाराजा कृष्णराज वाडियार थे। वाडियार राजवंश विश्व के सबसे अमीर राजघरानों में से एक था। इस राजघराने के पास खुद की सोने की खान (गोल्ड माइन) थी। 1937 में कृष्णराज वाडियार ने मैसूर लैक एंड पेंट्स नाम की एक फैक्ट्री लगाई। इस फैक्ट्री में पेंट और वार्निश बनाने का काम होता था।

कर्नाटक में एक जगह है मैसूर। इस जगह पर पहले वाडियार राजवंश का राज चलता था। आजादी से पहले इसके शासक महाराजा कृष्णराज वाडियार थे। वाडियार राजवंश विश्व के सबसे अमीर राजघरानों में से एक था। इस राजघराने के पास खुद की सोने की खान (गोल्ड माइन) थी। 1937 में कृष्णराज वाडियार ने मैसूर लैक एंड पेंट्स नाम की एक फैक्ट्री लगाई। इस फैक्ट्री में पेंट और वार्निश बनाने का काम होता था।

107 साल की सुशीला ने देश के विकास के लिए दबाया EVM का बटन

भारत के आजाद होने के बाद इस फैक्ट्री पर कर्नाटक सरकार का अधिकार हो गया। अभी इस फैक्ट्री में 91 प्रतिशत हिस्सेदारी कर्नाटक सरकार की है। 1989 में इस फैक्ट्री का नाम बदल मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड कर दिया गया।

भारत के आजाद होने के बाद इस फैक्ट्री पर कर्नाटक सरकार का अधिकार हो गया। अभी इस फैक्ट्री में 91 प्रतिशत हिस्सेदारी कर्नाटक सरकार की है। 1989 में इस फैक्ट्री का नाम बदल मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड कर दिया गया।

भारत में पहली बार चुनाव 1951-52 में हुए थे। इन चुनावों में मतदाताओं की अंगुली में स्याही लगाने का कोई नियम नहीं था। चुनाव आयोग को किसी दूसरे की जगह वोट डालने और दो बार वोट डालने की शिकायतें मिलीं। इन शिकायतों के बाद चुनाव आयोग ने इसे रोकने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया। इनमें सबसे अच्छा तरीका एक अमिट स्याही का इस्तेमाल करने का था।

कैराना में गरीब मतदाताओं को धमकाकर लाइन से भगाया, मुकदमा दर्ज

भारत में पहली बार चुनाव 1951-52 में हुए थे। इन चुनावों में मतदाताओं की अंगुली में स्याही लगाने का कोई नियम नहीं था। चुनाव आयोग को किसी दूसरे की जगह वोट डालने और दो बार वोट डालने की शिकायतें मिलीं। इन शिकायतों के बाद चुनाव आयोग ने इसे रोकने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया। इनमें सबसे अच्छा तरीका एक अमिट स्याही का इस्तेमाल करने का था।

चुनाव आयोग ने नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया (NPL) से ऐसी एक स्याही बनाने के बारे में बात की।एनपीएल ने ऐसी स्याही ईजाद की जो पानी या किसी रसायन से भी मिट नहीं सकती थी। एनपीएल ने मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी को इस स्याही को बनाने का ऑर्डर दिया। साल 1962 में हुए चुनावों में पहली बार इस स्याही का इस्तेमाल किया गया। और तब से अब तक यह स्याही ही हर चुनाव में इस्तेमाल की जाती है।

चुनाव आयोग ने नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया (NPL) से ऐसी एक स्याही बनाने के बारे में बात की।एनपीएल ने ऐसी स्याही ईजाद की जो पानी या किसी रसायन से भी मिट नहीं सकती थी। एनपीएल ने मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी को इस स्याही को बनाने का ऑर्डर दिया। साल 1962 में हुए चुनावों में पहली बार इस स्याही का इस्तेमाल किया गया। और तब से अब तक यह स्याही ही हर चुनाव में इस्तेमाल की जाती है।

100 वर्षीय ‘दादा’ ने किया मतदान, लोगों से की मतदान करने की अपील

एनपीएल या मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड ने कभी भी इस स्याही को बनाने के तरीके को सार्वजनिक नहीं किया। इसका कारण बताया गया कि अगर इस गुप्त फॉर्मूले को सार्वजनिक किया गया तो लोग इसको मिटाने का तरीका खोज लेंगे और इसका उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। जानकारों के मुताबिक इस स्याही में सिल्वर नाइट्रेट मिला होता है जो इस स्याही को फोटोसेंसिटिव नेचर का बनाता है। इससे धूप के संपर्क में आते ही यह और ज्यादा पक्की हो जाती है।

एनपीएल या मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड ने कभी भी इस स्याही को बनाने के तरीके को सार्वजनिक नहीं किया। इसका कारण बताया गया कि अगर इस गुप्त फॉर्मूले को सार्वजनिक किया गया तो लोग इसको मिटाने का तरीका खोज लेंगे और इसका उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। जानकारों के मुताबिक इस स्याही में सिल्वर नाइट्रेट मिला होता है जो इस स्याही को फोटोसेंसिटिव नेचर का बनाता है। इससे धूप के संपर्क में आते ही यह और ज्यादा पक्की हो जाती है।

जब यह स्याही नाखून पर लगाई जाती है तो भूरे रंग की होती है। लेकिन लगाने के बाद गहरे बैंगनी रंग में बदल जाती है। सोशल मीडिया पर एक अफवाह चली थी कि इस स्याही को बनाने में सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इन अफवाहों को बकवास करार दिया गया। यह स्याही अलग-अलग रसायनों का इस्तेमाल कर बनाई जाती है।

जब यह स्याही नाखून पर लगाई जाती है तो भूरे रंग की होती है। लेकिन लगाने के बाद गहरे बैंगनी रंग में बदल जाती है। सोशल मीडिया पर एक अफवाह चली थी कि इस स्याही को बनाने में सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इन अफवाहों को बकवास करार दिया गया। यह स्याही अलग-अलग रसायनों का इस्तेमाल कर बनाई जाती है।

मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड के मुताबिक 28 देशों को इस स्याही की आपूर्ति की जाती है। इनमें अफगानिस्तान, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, नेपाल, घाना, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी, कनाडा, टोगो, सिएरा लियोन, मलेशिया, मालदीव और कंबोडिया शामिल हैं। भारत इस स्याही का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत में अंगुली पर एक लकड़ी से यह स्याही लगाई जाती है वहीं कंबोडिया और मालदीव में अंगुली को ही स्याही में डुबोया जाता है। अफगानिस्तान में पेन से, तुर्की में नोजल से, बुर्कीना फासो और बुरुंडी में ब्रश से यह स्याही लगाई जाती है।

मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड के मुताबिक 28 देशों को इस स्याही की आपूर्ति की जाती है। इनमें अफगानिस्तान, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, नेपाल, घाना, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी, कनाडा, टोगो, सिएरा लियोन, मलेशिया, मालदीव और कंबोडिया शामिल हैं। भारत इस स्याही का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत में अंगुली पर एक लकड़ी से यह स्याही लगाई जाती है वहीं कंबोडिया और मालदीव में अंगुली को ही स्याही में डुबोया जाता है। अफगानिस्तान में पेन से, तुर्की में नोजल से, बुर्कीना फासो और बुरुंडी में ब्रश से यह स्याही लगाई जाती है।

सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि ये स्याही कितने दिनों तक नहीं मिटती। मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी ने कहा था कि इस स्याही को किसी भी तरह 15 दिन से पहले मिटाना संभव ही नहीं है।

सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि ये स्याही कितने दिनों तक नहीं मिटती। मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी ने कहा था कि इस स्याही को किसी भी तरह 15 दिन से पहले मिटाना संभव ही नहीं है।

Tags: blue inkElection 2022elections 2022pm modiUP Assembly Election 2022up chunav 2022up election 2022चुनावचुनाव 2022विधानसभाविधानसभा चुनाव 2022
Previous Post

107 साल की सुशीला ने देश के विकास के लिए दबाया EVM का बटन

Next Post

पहले सत्ता के संरक्षण में माफिया प्रदेश चलाते थे, आज अपराधी माफिया जेल में हैं : सीएम योगी

Writer D

Writer D

Related Posts

Admission
शिक्षा

अब इतनी उम्र वाले बच्चों को ही मिलेगा क्लास 1 में एडमिशन, स्कूलों को भेजे गए निर्देश

25/10/2025
UPSSSC
शिक्षा

UPSSSC ने VDO समेत 3 भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट जारी, यहां चेक करें कटऑफ

18/10/2025
Children's faces lit up after receiving scholarships from CM Yogi.
उत्तर प्रदेश

अब मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए परिवार पर आश्रित नहीं होना पड़ता: वर्तिका रावत

17/10/2025
NEET SS
शिक्षा

NEET SS एग्जाम स्थगित, अब इस दिन होगी परीक्षा

17/10/2025
Bihar STET
शिक्षा

बिहार एसटीईटी एडमिट कार्ड जारी, इस दिन से शुरू होगी परीक्षा

12/10/2025
Next Post
cm yogi

पहले सत्ता के संरक्षण में माफिया प्रदेश चलाते थे, आज अपराधी माफिया जेल में हैं : सीएम योगी

यह भी पढ़ें

AK Sharma

महाकुंभ को अद्वितीय और अलौकिक बनाने में कोई कोर-कसर नहीं रखनी: एके शर्मा

21/01/2025
India Food Expo

कृषि आधारित एमएसएमई उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 2 नवंबर से राष्ट्रीय सेमिनार

29/10/2022
Robert Vadra

रॉबर्ट वाड्रा नहीं पहुंचे ED दफ्तर, हरियाणा जमीन घोटाले मामले में होनी है पूछताछ

10/06/2025
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version