उत्तरकाशी। उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश के लिए ट्रैकिंग पर निकले लापता पर्यटकों, कुलियों और गाइडों सहित 17 ट्रैकर्स के समूह में से अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, इन लोगों के लापता होने की सूचना मिलने के बाद से ही, वायु सेना ने लमखागा दर्रे पर बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू किया था और इसमें अब तक 11 शव बरामद भी किए हैं। 2 ट्रेकर्स का रेस्क्यू किया जा चुका है। हालांकि, 2 लोग अभी भी लापता हैं।
दरअसल, भारी बर्फबारी और खराब मौसम के चलते पर्यटकों का यह समूह 18 अक्टूबर को लापता हो गया था। इन पर्यटक टैकर्स के लापता होने की जानकारी मिलने के बाद से भारतीय वायु सेना ने बीते 20 अक्टूबर को बचाव कार्य शुरू किया था। बताया जाता है कि, ये ट्रैकर्स 14 अक्टूबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी से सटे हर्षिल से हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में चितकुल के लिए निकले थे, लेकिन वे 17 से 19 अक्टूबर के बीच लमखागा दर्रे के आसपास कहीं लापता हो गए थे।
लम्खागा दर्रे में तीन फीट बर्फबारी होने से 11 ट्रैकर एक अस्थायी टेंट में रुक गए। जबकि 6 पोर्टर टेंट की सुविधा न होने पर चलते-चलते भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के नित्थल थाच के पास जा पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने ITBP से जरुरी मदद मांगी थी।
जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल और अन्य स्थानों के 8 पर्यटकों का दल मोरी सांकरी की एक ट्रैकिंग एजेंसी के माध्यम से बीते 11 अक्टूबर को हर्षिल से रवाना हुआ था। दल ने वन विभाग उत्तरकाशी से 13 से 21 अक्टूबर तक लमखागा के पास तक ट्रैकिंग करने के लिए इनर लाइन परमिट भी ले लिया था। वहीं इस ट्रैकिंग दल से कोई संपर्क न होने पर सुमित हिमालयन ट्रैकिंग टूर एजेंसी ने उत्तराखंड सरकार से पर्यटकों को सुरक्षित निकालने के लिए जरुरी सूचना दी। साथ ही, किन्नौर जिला प्रशासन को बीते बुधवार को ही इस दल के लापता होने की बड़ी सूचना मिली थी।
इन लोगों के मिले शव
विकास मेकल, सौरभ घोष, सुभियान दास, अनिता रावत, तन्मय के शव बरामद हुए हैं। जबकि, दो शवों की पहचान नहीं हो पाई है। वहीं, मिथुन दारी और गाइड देवेंद्र सिंह का रेस्क्यू किया गया है।