लखनऊ: हुसैनगंज सदर क्षेत्र में नाले (Hyder Canal Drain) में गिरे 7 साल के मासूम वीर का शव गुरुवार को आखिरकार मिल गया है। लगातार 18 घंटे तक चली खोजबीन के बाद नगर निगम, गोताखोरों और रेस्क्यू टीम ने 1090 चौराहे से पहले नाले में बच्चे को ढूंढ निकाला है। बीते दिन खेलते समय वीर नाले में गिर गया था, जिसके बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी। रातभर चले सर्च ऑपरेशन में इमरजेंसी लाइट, जाल और जेसीबी की मदद ली गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। अंततः आज सुबह 18 घंटे बाद टीम को सफलता मिली।
मौके पर भारी भीड़ जुटी हुई है। प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस और नगर निगम टीम तैनात है। हादसे के बाद क्षेत्र में शोक की लहर है।हुसैनगंज इलाके में किला चौकी रामलीला मैदान के पास बुधवार शाम खेलते वक्त सात साल का बच्चा हैदर कैनाल (Hyder Canal) में गिर गया। पानी में छटपटा रहे मासूम को बचाने के लिए उसके चाचा व एक अन्य शख्स नाले में कूदे, लेकिन तेज बहाव के कारण बच्चा कुछ ही देर में नजरों से ओझल हो गया। देर रात तक बच्चे का पता नहीं चल सका था। इस सीजन में तेज बारिश के दौरान बहने-डूबने का यह चौथा हादसा है।
जानकारी के मुताबिक, बाराबंकी के रुदौली निवासी नन्हा किला चौकी के पास रामलीला मैदान में झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रहते है। कबाड़ का काम करने वाले नन्हा ने बताया कि उनका बेटा वीर (7) बुधवार शाम छह बजे आसपास के बच्चों संग खेल रहा था। अचानक पैर फिसलने से वीर नाले में गिर गया। बाकी बच्चे शोर मचाने लगे। चीख-पुकार सुनकर चाचा मनोज और एक अन्य युवक वीर को बचाने के लिए नाले में कूद गए। नाले में कूदे युवक ने वीर का हाथ तो पकड़ लिया, लेकिन संतुलन बिगड़ने से वह खुद डूबने लगा। ऐसे में हाथ छूट गया और वीर नजरों से ओझल हो गया। स्थानीय लोगों और पार्षद का कहना है कि नाले (Hyder Canal) किनारे रेलिंग नहीं थी। रेलिंग होती तो बच्चा न गिरता।
क्षेत्रीय पार्षद अमित चौधरी का कहना है कि हैदर कैनाल (Hyder Canal) के बगल में एलडीए (LDA) ने नाला भी बनवाया था, पर रेलिंग नहीं बनवाई। रेलिंग होती तो हादसा न होता।
दौरान दादी सावित्रा और नन्हा हाथ जोड़कर वीर के सही सलामत मिलने की उम्मीद में छटपटाते रहे। घटना की जानकारी पर मेयर सुषमा खर्कवाल भी नगर निगम अफसरों संग मौके पर पहुंची। इस हमारा सहारा है, उसे बचा लीजिए। नन्हा का वीर के अलावा पांच साल का बेटा शिवा भी है। नन्हा ने बताया कि पत्नी रेनू तीन माह पहले छोड़ कर चली गई। रेनू के जाने के बाद दादी सावित्रा ही दोनों बच्चों की देखरेख करती थी।