• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

पुस्तक समीक्षा “वो खाली बेंच”

Writer D by Writer D
23/08/2022
in शिक्षा
0
wo khali bench

wo khali bench

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

किसी भी साहित्यकार की पहचान उसकी रचनाधर्मिता से होती है। एक  ‘कथाकार’ के लिए भाव, भाषा और संवाद से परिपूर्ण  ‘कहानी’ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उसके  जीवन का हिस्सा होने के साथ-साथ समाज में घटने वाली घटनाओं का चित्र उपस्थित करती है। काल्पनिक कहानियों में जहाँ लेखक अपनी लेखनी से अलग पहचान बनाता है, वहीं यथार्थवादी कहानियों से  सामाजिक विसंगतियों  के विरुद्ध कलम चलाकर ऐसी रचनाओं के माध्यम से अच्छा  साहित्य पाठक तक पहुँचाना एक श्रेष्ठ साहित्यकार, ‘कहानीकार’ का दायित्व होता है ।

दिल्ली की साहित्यकारा ‘मालती मिश्रा’ ‘मयंती’ का ‘वो खाली बेंच’ (Wo Khali Bench) कथा संग्रह भी कुछ इन्ही तथ्यों से गुजरते हुए संयोगवाद और सामाजिक द्वंद्वों पर आधारित है।

भारतीय हिंदी साहित्य में गद्य अथवा पद्य का सम्पूर्ण इतिहास विशेष रूप से रहा है।खासतौर पर कथा साहित्य में मुंशी प्रेमचंद, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, फणीश्वरनाथ रेणु, भगवती चरण वर्मा, निर्मल वर्मा,भीष्म साहनी, महादेवी वर्मा, ओम प्रकाश बाल्मीकि जैसे अनेकों कथाकारों  का अप्रतिम योगदान रहा है।

मुख्यतः हर ‘कथाकार’ अपनी भाषा-शैली और शब्द-सम्पदा से ही कहानियों के विकास में सहायक होता है।

दिल्ली की लेखिका ‘मालती मिश्रा ‘मयंती’ ने अपनी कहानियों में जिस तरह से सामाजिक द्वन्दों का प्रतिनिधित्व करते हुए कलम चलाई है, वह निश्चित रूप से प्रशंसा की पात्र हैं।

अपनी कहानियों में वह स्वयं को पात्र के रूप में व्यवस्थित करती हुई नजर आ जाती हैं।

‘कथाकारा’ ने अपने कहानी संग्रह ‘वो खाली बेंच’ में पहली कहानी जो कि इसी शीर्षक के साथ शुरू की है।

उक्त कहानी एक प्रेम कथा पर आधारित है, जिसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलता है और उस पर अपना प्रभाव छोड़ता है। यहीं से यह  कहानी शुरू होती है, इस पूरी कथा में जहाँ भावनाओं को शब्दों में पिरो कर परोसा गया है वहीं दुख की छाया से भी पात्र अछूते नहीं रहे हैं। हाँ इतना जरूर है कि कहीं-कहीं पर अचानक घटने वाली घटना से पाठक ने रोचकता के साथ-साथ खुद को आश्चर्यचकित महसूस जरूर किया होगा ।

दूसरी कहानी ‘माँ बिन मायका’ में  माँ के अभाव की और उसके प्यार की कमी कैसे  खलती रहती है इन्हीं भावों को लेकर एक बेटी की भावनाओं को बहुत सुंदरता से शब्दों में पिरोया है।

वहीं ‘चाय पर चर्चा’ व ‘चाय का ढाबा’ दोनों की कहानियों से व्यक्ति को एक सीख देती हैं  इस दृष्टि से दोनों ही कहानियाँ छात्र-छात्राओं के लिए बहुत अच्छी हैं।

कहानी ‘पुर्नजन्म’ पाठक को सीधा दादी नानी की कहानियों से जोड़ती है। ऐसा प्रतीत होता है कि कहानीकार ने कल्पना शक्ति का प्रयोग करते हुए रातों रात गढ़ लिया हो या यूँ कहें कि अपने आस-पास के माहौल में किसी ऐसी घटना से प्रभावित होकर उसे याद करते हुए कलम के माध्यम से शब्दों में अभिव्यक्त किया हो।

कहानी ‘पुरस्कार’ में ऐसा लग रहा है जैसे  कहानीकार ने अपने निजी जीवन के अनुभवों को साझा किया हो। शिक्षक का अनुशासन ही उसके जीवन की श्रेष्ठता होता है, यह प्रदर्शित किया गया है।

वहीं कहानी ‘सौतेली माँ’ में स्त्री के आदर्श स्वरूप को दर्शाया गया है, जिसमें जहाँ एक विधवा ने अपनी बच्ची के प्रति स्नेह और समर्पण को व्यक्त किया है

वह अपनी बेटी तरु को कभी भी सौतेली होने का अहसास नहीं होने देती कहानी के अंत मे बड़ी ही विषम परिस्थितियों का जन्म होता है, जो संयोगवाद की पराकाष्ठा को पार कर जाता है।

कहानी ‘पिता’ में एक संतान के प्रति खुद के ममत्व को प्रकट करती है तो वहीं पिता द्वारा  शराब के नशे की लत से किस तरह उसके घर की चारदीवारी का प्रेम न्यायालय की चौखट पर नीलाम होता है ।

कहानी ‘डायन’ में एक माँ पर किस तरह से रूढ़िवादी परम्परा को थोपा जाता है साथ ही पुत्र मोह की चाह में तरह-तरह के प्रलोभन टोटका-टम्बरी अहंकारी समाज के प्रति बेबाकी से ‘कथाकारा’ ने कलम चलाई है ।

कहानी ‘आत्मग्लानि’ में  मानवता और इंसानियत का परिचय देकर एक पीड़ित परिवार की मदद कर खुद के द्वारा किये गए पाप का प्रायश्चित किया गया है।

नई कहानी की ओर बढ़ती सक्रियता से अपनी लेखन चेतना को जागृत कर ‘कथाकारा’ ‘मालती मिश्रा’ की पहचान बन गयी है।

उन्होंने मजबूत संवादों की नींव पर अपनी कहानियों की दीवार को खड़ा किया है उक्त कथा  संग्रह में कुल  ग्यारह  कहानियां  संग्रहित हैं।

रचना संग्रह वो खाली बेंच के लिए कहानीकारा मालती मिश्रा को बधाई।

Tags: book reviewwo khali bench
Previous Post

केंद्रीय मंत्री सिंधिया से मिले सीएम धामी, उत्तराखंड में हवाई कनेक्टिविटी पर की चर्चा

Next Post

उत्तर प्रदेश बना अराजक प्रदेश: अखिलेश यादव

Writer D

Writer D

Related Posts

NEET SS
शिक्षा

NEET SS 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, इस दिन होगी परीक्षा

06/11/2025
UP Board
Main Slider

यूपी बोर्ड एग्जाम की तारीख का एलान, जानें कब से शुरू होगी परीक्षा

05/11/2025
Railway
शिक्षा

रेलवे में इस पद पर निकली बंपर भर्ती, मिलेगी इतनी सैलरी

31/10/2025
Intensive Care Center
राष्ट्रीय

जिला प्रशासन का विजन: ‘‘शिक्षा से जीवन उत्थान‘‘ से संवर रहा घुमतु बच्चों का जीवन

29/10/2025
ITOT
उत्तर प्रदेश

लखनऊ के ITOT प्रशिक्षार्थियों ने रचा नया इतिहास: राष्ट्रीय स्तर पर छाया कौशल का परचम

28/10/2025
Next Post
Akhilesh Yadav

उत्तर प्रदेश बना अराजक प्रदेश: अखिलेश यादव

यह भी पढ़ें

UP Police Recruitment

यूपी पुलिस की नौकरी से युवाओं का मोहभंग, 33 ने दिया इस्तीफा

03/12/2020
Bee

अंतिम संस्कार के लिए जमा भीड़ पर मधुमक्खियों का हमला, 80 लोग जख्मी

06/07/2023
firing

आधी रात को घर पर हुईं गोलियों की बौछार, पूरे इलाके में दहशत

25/06/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version