बिहार के चर्चित मुजफ्फपुर शेल्टर होम कांड के एक दोषी रामानुज ठाकुर की तिहाड़ जेल में 3 दिसंबर को मौत हो गई। रामानुज इस कांड के दोषी ब्रजेश ठाकुर का मामा लगता था। तिहाड़ जेल के सूत्रों के मुताबिक, उसकी उम्र 70 साल थी और नेचुरल डेथ बताई जा रही है। वह तिहाड़ के जेल नंबर 3 में बंद था।
बताया जा रहा है कि रामानुज ठाकुर पर शेल्टर होम की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने समेत कई गंभीर आरोप लगे थे। इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने रामानुज को गिरफ्तार किया था। उसके 23 फरवरी 2019 को तिहाड़ लाया गया था। 11 फरवरी 2020 को साकेत कोर्ट ने उनको आजीवन कारावास के साथ 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस तब प्रकाश में आया जब 26 मई 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस(टीआईएसएस) ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें जिक्र किया गया था कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण हो रहा है।
इस यौन शोषण के मामले में कोर्ट ने 20 आरोपियों में से 19 को दोषी पाया था। ब्रजेश ठाकुर पर नाबालिग बच्चियों और युवतियों के यौन शोषण के आरोप थे। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इसे सही पाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पूरे मामले की सुनवाई दिल्ली की साकेत जिला अदालत में की गई।
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ब्रजेश ठाकुर के अलावा कोर्ट ने इंदू कुमारी (बालिकागृह अधीक्षक), मीनू देवी (बालिकागृह में गृह माता), मंजू देवी (काउंसलर), चंदा देवी (बालिकागृह में गृह माता), नेहा कुमारी (नर्स), हेमा मसीह (केस वर्कर), किरण कुमारी (सहायक), रवि कुमार, विकास कुमार (सीडब्लूसी का सदस्य), दिलीप कुमार (सीडब्लूसी का अध्यक्ष), विजय तिवारी (चालक), गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, रोजी रानी, रामानुज ठाकुर उर्फ मामू, रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर, डॉक्टर अश्विनी, नरेश प्रसाद और साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया।