भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव (Ganesh Utsav) की शुरुआत होती है। 10 दिनों तक चलने वाला यह पर्व अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। इस साल गणेश उत्सव (Ganesh Utsav) की शुरुआत 19 सितंबर 2023 से हो रही है।
यह दिन गणपति जी के जन्मोत्सव (Ganesh Utsav) के रूप में पूजा जाता हैं। इस दिन श्री गणेश की मूर्ति घरों में स्थापित की जाती हैं जिसका विसर्जन 10 दिन उत्सव मनाने के बाद अनन्त चतुर्दशी के दिन कर दिया जाता हैं। घर में सजी भगवान गणेशजी की मूर्ति वास्तु अनुसार हो तो यह सुख, समृद्धि और वैभव प्रदान करने वाली होती हैं। वास्तु के अनुसार घर में गणपति की मूर्ति स्थापित करने से पहले आपको मूर्ती से जुड़ी कई तरह की जानकारी ले लेनी चाहिए कि इसका स्वरुप कैसे हो ताकि शुभ फलदायी साबित हो। आइये जानते हैं इसके बारे में…
मूर्ति का रंग
गणेशजी (Ganesh)के प्रत्येक अवतार का रंग अलग अलग है परंतु शिवपुराण के अनुसार गणेशजी के शरीर का मुख्य रंग लाल तथा हरा है। इसमें लाल रंग शक्ति और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसका आशय है कि जहां गणेशजी हैं, वहां शक्ति और समृद्धि दोनों का वास है। आत्म-विकास या सर्व मंगल की कामना करने वालों के लिए सिंदूरी रंग के गणपति की स्थापना करना चाहिए। धन समृद्धि की चाह रखने वाले पीले रंग की मूर्ति में हरे रंग के उपयोग वाली मूर्ति रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार, सफेद रंग की गणेश मूर्ति उन लोगों के लिए है जो शांति और समृद्धि चाहते हैं।
मूर्ति की विशेषता
मूर्ति में उनके बाएं हाथ की ओर सूंड घुमी हुई हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। गणेशजी (Ganesh) को मोदक पसंद है और उनका वाहन मूषक अतिप्रिय है अत: ध्यान रखें कि मूर्ति में मोदक या लड्डू और चूहा अवश्य होना चाहिए। गणेशजी की चार भुजाएं हैं- पहले हाथ में अंकुश, दूसरी भुजा में पाश, तीसरी भुजा में मोदक और चौथी भुजा से वे आशीर्वाद दे रहे हैं। घर में पंचमुखी मूर्ति रखने के पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
किस तरह की हो मूर्ति
घर में क्रिस्टल के गणेश जी (Ganesh) रखने से सारे वास्तु दोष कट जाते हैं। आप घर में क्रिस्टल के छोटे गणेश जी रख सकते हैं। वहीं हल्दी से बने गणेश जी आपके भाग्य को चमकाते हैं। हल्दी के गणेश को घर में रखने से भाग्य आपका साथ कभी नहीं छोड़ता। मिट्टी के गणेश जी की मूर्ति घर लानी चाहिए या मिट्टी से खुद बनानी चाहिए। प्लास्टर ऑफ पेरिस या अन्य केमिकल्स के उपयोग से बनी मूर्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा सफेद मदार की जड़ से बने गणेश जी की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। वहीं धातुओं में सोना, चांदी या तांबे की मूर्तियों की भी पूजा कर सकते हैं।
बैठे गणेश जी ना हों
अगर आप अपने ऑफिस या काम करने की जगह पर गणेश जी की मूर्ति रखना चाहते हैं, तो हमेशा ध्यान रहे कि ये भगवान गणेश की बैठी हुई मुद्रा में ना हों। बैठे हुए गणेश जी की सही जगह आपके घर में है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। गाय के गोबर से बने गणेश जी काफी शुभ माने जाते हैं। इन्हें घर में रखने से घर में दुख कभी नहीं आता।
मूर्ति का आकार
शास्त्र अनुसार पूजा घर में रखी जाने वाली देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का आकार 3 इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए या हमारे अंगूठे की लंबाई के बराबर ही मूर्तियां रखना चाहिए। अंगूठा आकार से बड़ी मूर्तियां घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए। बड़ी मूर्तियों की पूजा में कई नियमों का पालन करना होता है। इनकी पूजा में त्रुटि होना अशुभ माना जाता है और पुण्य लाभ भी प्राप्त नहीं हो पाता है। हालांकि गणेशजी की मूर्ति आप कम से कम एक फीट की रखे सकते हैं।