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BSP प्रत्याशी के पति हिरासत में, मुस्लिम महिलाओं को वोट डालने से रोका

BSP candidate's husband in police custody

BSP candidate's husband in police custody

मैनपुरी। जिले के दस नगर निकायों के लिए सुबह सात बजे से 281 मतदेय स्थलों पर मतदान शुरू हो गया था। पहले दो घंटे में कुल 11.69 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं पुलिस और प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप भी लगते रहे। शहर में जहां मुस्लिम मतदाताओं को वोट डालने से रोकने के आरोप लगाए गए तो वहीं भोगांव में BSP प्रत्याशियों के पतियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

मैनपुरी नगर पालिका के अलावा नगर पंचायत कुरावली, भोगांव, बेवर, कुसमरा, किशनी, करहल, बरनाहल, घिरोर और ज्योंती खुड़िया में सुबह सात बजे से मतदान शुरू हो गया। कुल 281 मतदेय स्थलों पर कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान शुरू कराया गया। मतदाताओं में मतदान को लेकर गजब का उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही मतदाता वोट डालने के लिए लाइनों में लग गए थे। पहले दो घंटे में जिले भर में कुल 11.69 प्रतिशत मतदान हुआ। सर्वाधिक मतदान नगर पंचायत ज्योंती खुड़िया में 16 प्रतिशत हुआ। प्रतिद्वंद्वी दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों द्वारा प्रशासन पर मतदान प्रभावित करने के आरोप लगाए जाते रहे। शिकायतों पर जिला स्तरीय अधिकारी और प्रेक्षक भी एक मतदान केंद्र से दूसरे पर दौड़ते नजर आए।

मुस्लिम मतदातों को रोकने के आरोप

नगर पालिका परिषद के आगरा रोड स्थित शाह महमूद इस्लामियां इंटर कॉलेज पर मतदान के लिए पहुंचने वाली मुस्लिम महिलाओं ने पुलिस पर रोकने के आरोप लगाए। दरअसल पुलिस द्वारा यहां नाम में आंशिक त्रुटि होने पर भी मतदाओं को लौटाया जा रहा था। प्रेक्षक चर्चित गौर से शिकायत के बाद सेक्टर मजिस्ट्रेट डॉ. विकास रंजन ने मौके पर पहुंचकर इसे रुकवाया।

प्रत्याशियों के पति को पुलिस ने उठाया

नगर पंचायत भोगांव में पुलिस ने दो प्रत्याशियों के पति को गिरफ्तार कर लिया। इसमें सपा समर्थित प्रत्याशी नसरीन बानो के पति अकबर कुरैशी और BSP प्रत्याशी निशायरा बेगम के पति इबराज मंसूरी को सुबह ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हिरासत में ही पुलिस उन्हें मतदान कराने के लिए पहुंचीं। इसे लेकर समर्थकों में आक्रोश नजर आया।

पुलिस कर रही आधार कार्ड स्कैन

मुस्लिम बहुल बस्तियों में प्रशासन की पैनी नजर रही। लेकिन इन क्षेत्रों में पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगते रहे। दरअसल यहां पुलिसकर्मियों द्वारा अपने मोबाइल से आधार कार्ड का बारकोड स्कैन किया जा रहा था। लोगों का आरोप था कि पीठासीन अधिकारी को ये निर्णय करने का अधिकार है न कि पुलिस को।

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