हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है, एक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर। कल यानी 20 अगस्त को भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत करने से कुंडली में बुध ग्रह के दोष शांति होते हैं और व्रती की सभी समस्याएं भी दूर होती हैं।
बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) 2025
पंचांग के अनुसार, भादो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त को दोपहर 1:58 मिनट से शुरू होकर 21 अगस्त को दोपहर 12:44 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 20 अगस्त को प्रदोष व्रत रखना शुभ रहेगा।
बुध प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) पूजा टाइम
बुध प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)पर महादेव की पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अगस्त को शाम 6:56 मिनट से रात 9:07 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप महादेव की आराधना कर सकते हैं। 20 अगस्त को राहुकाल दोपहर 12:24 मिनट से लेकर दोपहर 2:02 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस दौरान पूजा नहीं करनी चाहिए।
प्रदोष काल 2025
बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) पर प्रदोष काल शाम 6:56 मिनट से रात 9:07 मिनट तक है। इस दौरान पूजा और कथा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। शाम के समय पूजा के बाद बुध प्रदोष व्रत कथा सुनें और आरती करें।
बुध प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, बुधवार का दिन पड़ने से प्रदोष व्रत का संबंध भगवान शिव के साथ उनके पुत्र गणपति से जुड़ जाता है। कहते हैं कि बुध प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, सभी पाप नष्ट होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने में लाभकारी माना गया है।
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) की पूजा कैसे करें?
– प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
– पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़कें और शिव-पार्वती की प्रतिमा रखें।
– फिर कुश के आसन पर बैठकर भगवान शिव और गणपति की पूजा करें।
– भगवान शिव को दूध, जल, दही, शहद, घी से स्नान कराएं।
– फिर उन्हें बेलपत्र, फूल, इत्र, जौं, गेहूं, काला तिल आदि चढ़ाएं।
– इसके बाद धूप और दीप जलाकर विधिवत पूजा करें।
– गणपति बप्पा को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें सिंदूर-घी का तिलक लगाएं।
– बप्पा को तिलक लगाने के बाद दूर्वा, मोदक, सुपारी-पान और फूल चढ़ाएं।
– विधि-विधान से पूजा कर ‘ओम गं गणपते नम:’ और ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें।