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कैप्टन सरकार का बड़ा फैसला, कोरोना मरीजों के घर के बाहर अब नहीं लगेंगे क्वारंटाइन के पोस्टर

अब नहीं लगेंगे क्वारंटाइन के पोस्टर

अब नहीं लगेंगे क्वारंटाइन के पोस्टर

चंडीगढ़। पंजाब में घरेलू एकांतवास में रह रहे कोरोना के मरीजों को अब सामाजिक भेदभाव से डरने की जरूरत नहीं रहेगी। इस भेदभाव को मिटाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को अपनी सरकार के पहले वाले उस फैसले को वापस ले लिया जिसके अंतर्गत घरेलू एकांतवास में रह रहे कोविड के मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर चिपकाए जाते हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि पहले लगाए गए पोस्टर हटा लिए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम उठाए जाने का मकसद ऐसे मरीजों के घरों के दरवाजों पर लगाए जाते पोस्टरों से पैदा होने वाले भेदभाव को घटाना है और इसके अलावा जांच करवाए जाने के डर को भी दूर करना है। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह कोविड के इलाज के लिए जल्द अपनी जांच करवाएं ताकि इस बीमारी का पहले ही पता चल सके और सही तरह इलाज हो सके।

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उन्होंने आगे कहा कि इन पोस्टरों के कारण मरीजों को मानसिक तौर पर परेशानी का सामना करते हुए देखा गया है। इन पोस्टरों को चस्पा किये जाने का प्रारंभिक मकसद पड़ोसियों और अन्य मरीजों को बचाना था जो पूरा नहीं हो पा रहा है। बल्कि इन पोस्टरों के कारण लोग जांच करवाए जाने से भाग रहे थे।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इन पोस्टरों के साथ सामाजिक अलगाव और भेदभाव जैसे अनचाहे और अनपेक्षित नतीजों के कारण मरीजों को चिंता और पक्षपात का सामना करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि लोग इसके साथ जुड़े हुए भेदभाव से बचने के लिए जांच करवाने से कतराते थे, बजाय इसके कि भाईचारक तौर पर इकट्ठा होकर मरीजों और उनके परिवारों का साथ दिया जाए। यही कारण है कि सरकार को पोस्टर चिपकाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करना पड़ा।

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मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है कि वह निरंतर जरुरी ऐहतियात बरतते रहें और पोस्टरों को हटाने के बावजूद घरेलू एकांतवास सम्बन्धी दिशा-निर्देशों का पालन करते रहें। उन्होंने कहा कि हिदायतों का उल्लंघन डिजास्टर मैनेजमेंट ऐक्ट, ऐपीडैमिक डिजीज ऐक्ट और आई.पी.सी. के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है।

कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार हर व्यक्ति की सेहत और तंदुरुस्ती को लेकर पूरी तरह वचनबद्ध है और इस लड़ाई में समस्त समुदायों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि महामारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई लडऩे की जरूरत है क्योंकि समुदायों के लोग ही सहायता, प्रेरणा और व्यवहार में बदलाव के साथ इस बीमारी को आगे फैलने और अफवाहों को रोकने में और इलाज करवाने में योगदान दे सकते हैं।

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