उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता हरीश रावत जल्द ही पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। इसके संकेत हरीश रावत की तरफ से बुधवार को सोशल मीडिया पर अपलोड की गई दो पोस्ट से मिले हैं, जिनमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस आलाकमान के रवैये पर सवाल खड़े करते हुए साथ छोड़ने का इशारा किया है।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अब कांग्रेस के बागी हो चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रावत पर तीखा तंज कसा है। पंजाब में कांग्रेस छोड़ने के लिए अमरिंदर रावत को बहुत हद तक जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने रावत से जुड़ी सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा- ‘जो बोओगे, वही काटोगे.. भविष्य की शुभकामनाएं।’
हरीश रावत को गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है। लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर बिना नाम लिए गांधी परिवार ही निशाना साधकर चौंका दिया है।
रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा- है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र में तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर कर खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है!
पंजाब के बाद अब उत्तराखंड में कांग्रेस की कलह, हरीश रावत ले सकते है ये बड़ा फैसला
इसके बाद एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में भी रावत ने कहा- फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्”। बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
हरीश रावत की सोशल मीडिया पोस्ट का मुद्दा तूल पकड़ने के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी हरीश रावत पर तंज कसा है। अमरिंदर सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा- जो बोओगे, वही काटोगे! आपको भविष्य की कोशिशों के लिए शुभकामनाएं (अगर हों तो) हरीश रावत जी।
पंजाब में जिस वक्त कांग्रेस के अंदर तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तनातनी शुरू हुई थी, उस समय हरीश रावत पंजाब कांग्रेस के प्रभारी थे। बाद में अमरिंदर और सिद्धू के बीच सुलह कराने के लिए सोनिया गांधी की तरफ से गठित कमेटी के अध्यक्ष भी रावत ही थे। तब रावत और अमरिंदर ने एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी।