बांदा। जनपद में मामूली विवाद में मारपीट का मुकदमा 28 साल तक चला। इसके बाद कोर्ट (Banda Court) ने 28 साल बाद इस केस में आरोपी को मात्र 25 दिन की सजा सुनाई है। सजा सुनकर सभी लोग दंग हैं। अभियोजन की ओर से ADG क्रिमिनल (सरकारी वकील) जेपी विश्वकर्मा ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि 1994 का मुकदमा 2022 में खत्म हुआ है। आरोपी पुत्तन जो बबेरू के कायल गांव का रहने वाला है, उस पर कोर्ट ने 5000 रुपए जुर्माना लगाया है। वहीं जुर्माना न अदा कर पाने की स्थिति में 25 दिन के लिए जेल (jail) जाना पड़ सकता है।
12 जनवरी 1994 का मामला
पूरा मामला बबेरू थाना के कायल गांव का है। यहां 12 जनवरी 1994 को कुछ बच्चे एक दूसरे किसान पुत्तन के खेत में चना की भाजी तोड़ रहे थे। इसी बीच खेत का मालिक पुत्तन आ गया और उसने इन बच्चों की पिटाई कर दी। बच्चे रोते हुए घर पहुंचे और अपने पिता को पूरे घटना की जानकारी दी। पिता के आवेश में आकर मारपीट और SC ST के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी, जिसका क्राइम नम्बर 35/1994 है। पुलिस ने विवेचना के बाद आरोपी पुत्तन के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद यह केस 28 साल तक बांदा के एक अदालत में चला। इसमें करीब 972 तारीखें पड़ीं।
28 साल मिली तारीख पर तारीख
28 साल तारीख पर तारीख मिलती रही। मुल्जिम और मुवक्किल दोनों को अदालत के चक्कर लगाते-लगाते समझ आ चुका था कि मुकदमा नहीं लड़ना चाहिए। हमको फर्जी में एक दूसरे पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। इसी मामले को अगर पंचायत में निपटा लिया जाता तो शायद आज 28 वर्ष का इंतजार नहीं करना पड़ता।
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हजारों बार लगाने पड़े अदालत के चक्कर
अभियोजन की ओर से ADG क्रिमिनल (सरकारी वकील) जेपी विश्वकर्मा ने इस मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि 1994 का मुकदमा 2022 में खत्म हुआ है। आरोपी पुत्तन जो बबेरू के कायल गांव का रहने वाला है, उस पर कोर्ट ने बुधवार को 5000 रुपए जुर्माना लगाया है। वहीं जुर्माना न अदा कर पाने पर 25 दिन सजा भुगतना पड़ेगा। यह मुकदमा 28 साल तक चला, जिसमें मुल्जिम को लगभग हजारों बार अदालत आना पड़ा। इन 28 वर्षों में कितनी बार कितना समय बर्बाद हुआ। लेकिन अदालत ने जो निर्णय दिया वह चौंकाने वाला था, 28 वर्ष में 25 दिन की सजा। जुर्माने के तौर पर अगर 5000 रुपए जमा नहीं किए, तब 25 दिन की जेल काटनी होगी।