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कैट ने बीआईएस स्टैंडर्ड लागू करने का किया आग्रह

Jai Prakash by Jai Prakash
07/04/2022
in Business
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BIS Standard

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नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) और इंडियन फुटवियर एसोसिएशन (IFA) ने फुटवियर पर जीएसटी दर 5 फीसदी और बीआईएस स्टैंडर्ड (BIS Standard) लागू करने की मांग की है। कैट और आईएफए ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि 31 दिसंबर से पहले के अनुसार 1000 रुपये से कम कीमत वाले फुटवियर पर जीएसटी दर 5 फीसदी और उससे ज्यादा कीमत वाले फुटवियर पर जीएसटी दर 12 फीसदी रखी जाए। इसके साथ ही दोनों संगठनों ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से 1000 रुपये से ऊपर के फुटवियर पर ही बीआईएस स्टैंडर्ड लागू करने की मांग की है।

जीएसटी बढ़ा सकती है मिनिमम टैक्स रेट

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि फुटवियर पर जीएसटी स्लैब को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने से भारत के फुटवियर उद्योग और व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी दर में 7 फीसदी की बढ़ोतरी जूते की खपत और देश के 85 फीसदी आम लोगों पर सीधे तौर पर प्रभावित करेगा, क्योंकि फुटवियर में बड़ी संख्या में छोटे व्यापारियों ने कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुना है। इसलिए वे इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं ले पाएंगे, जिससे फुटवियर की कीमत में 7 फीसदी का टैक्स और जुड़ जाएगा।

खंडेलवाल ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गरीब तबके को आसान आजीविका प्रदान करने के संकल्प के खिलाफ भी होगा, क्योंकि देश की 60 फीसदी आबादी 30 से 250 रुपये की कीमत के फुटवियर पहनती है। लगभग 15 फीसदी आबादी रुपये 250 से 500 रुपये की कीमत के फुटवियर का इस्तेमाल करती है। 10 फीसदी लोग 500 से 1000 रुपये तक के जूते का उपयोग करते हैं। शेष 15 फीसदी लोग बड़ी फुटवियर कंपनियों अथवा आयातित ब्रांडों के निर्मित अच्छी गुणवत्ता वाले चप्पल, सैंडल या जूते खरीदते हैं।

कैट महामंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फुटवियर निर्माता है। देशभर में फैली दस हजार से अधिक निर्माण इकाइयां और लगभग 1.5 लाख फुटवियर व्यापारी 30 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं, जिनमें ज्यादातर फुटवियर बेहद सस्ते और पैरों की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि मकान और कपड़े की तरह फुटवियर भी एक जरूरी वस्तु है, जिसके बिना कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता है। इसमें बड़ी आबादी घर में काम करने वाली महिलाएं, मजदूर, छात्र एवं आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न वर्ग के लोग हैं।

चुनाव परिणामों के बाद पेट्रोल-डीजल के रेट में लग सकता हैं जीएसटी

आईएफए के राष्ट्रीय महासचिव सौरभ बैराठी ने कहा कि भारत में फुटवियर के निर्माण में 85 फीसदी निर्माता बहुत छोटे पैमाने पर निर्माण करते हैं, जो निर्माण की बुनियादी जरूरतों से भी महरूम हैं। ऐसे में उनके लिए सरकार के फुटवियर के निर्धारित बीआईएस मानकों का पालन करना असंभव होगा। उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, जहां गरीब तबके, निम्न या मध्यम वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लोग अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार फुटवियर पहनते हैं। ऐसी परिस्थितियों में केवल 1000 रुपये से अधिक की कीमत पर ही बीआईएस के मानक लागू होने चाहिए।

दोनों संगठनों ने तर्क दिया कि देश की लगभग 85 फीसदी आबादी 1000 रुपये से कम कीमत के फुटवियर का इस्तेमाल करती है। इसलिए जीएसटी की दर में कोई भी बढ़ोतरी की मार सीधे तौर पर देश के 85 फीसदी जनता पर पड़ेगी। उन्होंने कहा कि चूंकि 90 फीसदी फुटवियर का उत्पादन बड़े पैमाने पर छोटे और गरीब लोगों के द्वारा घर में चल रहे लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग में किया जाता है। इस वजह से भारत में फुटवियर निर्माण के बड़े हिस्से पर बीआईएस मानकों का पालन करना बेहद मुश्किल काम है। इस संबंध में कैट एवं आईएएफ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को फुटवियर पर 5 फीसदी जीएसटी टैक्स स्लैब रखने के लिए अपने ज्ञापन भेजे हैं। इसलिए कैट और आईएएफ ने आग्रह किया है कि फुटवियर पर 5 फीसदी से अधिक जीएसटी दर और बीआईएस स्टैंडर्ड लागू नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि, ये दोनों कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया आह्वान को सशक्त बनाएंगे।

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