वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ जंग में लखनऊ के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने अहम कामयाबी हासिल की है। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CDRI) के वैज्ञानिकों ने कोरोना के इलाज में कारगर स्वदेशी पहली एंटीवायरल ड्रग उमीफेनोविर की खोज करने का दावा किया है। वैज्ञानिक इसका सक्सेसफुल ह्यूमन ट्रायल करने की बात भी कह रहे हैं। 5 दिन में यह दवा वायरस के लोड को खत्म कर देती है। गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर भी कारगर है।
CDRI की इस मुहिम में प्रदेश के सबसे बड़े किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के अलावा लोहिया संस्थान और प्राइवेट एरा मेडिकल कालेज का भी सहयोग रहा है। इन मेडिकल संस्थानों में भर्ती 132 मरीजों पर इसके सफल ट्रायल करने का दावा CDRI निदेशक कर रहे हैं। अहम बात यह है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुए इसके ट्रायल से वैज्ञानिकों का यह भरोसा है कि डेल्टा समेत डेल्टा प्लस वैरिएंट में भी यह एंटीवायरल दवा मरीजों के लिए बेहद मुफीद होगी।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर बेहद कारगर
CSIR-CDRI लखनऊ के डायरेक्टर प्रो. तपस कुंदु ने भास्कर को बताया कि मौजूदा ट्रायल ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से इमरजेंसी अनुमति मिलने के बाद तीन अक्टूबर 2020 से 28 अप्रैल 2021 के बीच किया गया। CDRI के 16 सदस्यों की टीम के इनिशिएटिव पर उमीफेनोविर को ट्रायल के लिए चुना गया था। तीन चरणों के ट्रायल के बाद इसे असिम्प्टोटिक और माइल्ड और मॉडरेट लक्षण वाले मरीजों के इलाज में प्रभावी पाया गया है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए भी यह बेहद कारगर है। इसमें पहली और दूसरी लहर से प्रभावित मरीज शामिल थे।
मौजूदा ट्रायल ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से इमरजेंसी अनुमति मिलने के बाद तीन अक्टूबर 2020 से 28 अप्रैल 2021 के बीच किया गया। इसमें पहली और दूसरी लहर से प्रभावित मरीज शामिल थे।
दिन में दो बार 5 दिनों तक खानी होगी दवा
CDRI के वरिष्ठ डॉ. संजीव यादव ने बताया कि कोरोना मरीजों में वायरस के असर को लगभग खत्म करने के लिए उमीफेनोविर की 800 MG की डोज दिन में दो बार सिर्फ पांच दिनों तक लेना होता है। इससे जबरदस्त रिकवरी के प्रमाण हैं। अक्टूबर 2020 से अप्रैल 2021 तक चले क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे फेज में 18 से 75 वर्ष तक की आयु वर्ग के लोगों को रखा गया था। दवा बनाने की तकनीकि गोवा की निजी कंपनी को ट्रांसफर करके इमरजेंसी यूज के लिए मुहैया कराई गई थी। अब DCGI से अनुमति मिलने के बाद इसे टैबलेट या सिरप किसी भी रूप में बाजार में उतारा जा सकता है। खास बात यह है कि इसकी कीमत अन्य एंटी वायरल दवाओं से आधी रहने की संभावना है।
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डॉ. संजीव बताते हैं कि सालों से उमीफेनोविर नाम की इस एंटी वायरल दवा का इस्तेमाल रूस और चीन समेत अन्य देशों में एन्फ्लूएंजा व निमोनिया के उपचार में होता रहा है। अब भारत में इसे री-पोजीशन ड्रग के रुप मे इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके सेफ्टी एनालिसिस के पैरामीटर्स रेमदेसीवीर जैसी एंटी वायरल दवाओं से कही ज्यादा बेहतर है और इनके साइड इफेक्ट्स की संभावना नहीं है।
CDRI के निदेशक प्रो.तपस के अनुसार अभी तक 132 लोगों पर इसका ट्रायल हो चुका है। DCGI ने फिलहाल इसके क्लीनिकल ट्रायल को और बढ़ाने की बात कही है पर हमें उम्मीद है कि जल्द भी अनुमति मिलने के बाद हम मरीजों पर इसका प्रयोग कर सकेंगे।