देश में जनगणना (Census) कराने से संबंधी अधिसूचना आज आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी। अधिसूचना के साथ ही देश में जनगणना की औपचारिक प्रक्रिया की शुरुआत हो जाएगी। इस जनगणना में जाति की गणना भी की जाएगी।
यह जनगणना (Census) दो चरणों में आयोजित की जाएगी, जिसमें लगभग 34 लाख गणनाकार और पर्यवेक्षक तथा 1.3 लाख जनगणना अधिकारी तैनात किए जाएंगे। यह पूरी प्रक्रिया 1 मार्च, 2027 तक पूरी की जाएगी। जनगणना दो चरणों में होगी। पहले चरण को गृह-सूचीकरण अभियान (Housing Listing Operation – HLO) कहा जाएगा, जिसमें प्रत्येक घर की स्थिति, संपत्तियां और सुविधाओं की जानकारी एकत्र की जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण में जनसंख्या गणना (Population Enumeration – PE) की जाएगी, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरण दर्ज किए जाएंगे।
डिजिटल उपकरणों का होगा उपयोग
पिछली बार 2011 में की गई जनगणना के बाद से यह पहला मौका है जब देश एक बार फिर इस व्यापक जनसंख्या गणना के लिए तैयार हो रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में प्रस्तावित जनगणना स्थगित हो गई थी। इस बार सरकार ने न केवल डिजिटल उपकरणों और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से जनगणना कराने का निर्णय लिया है, बल्कि नागरिकों को स्व-गणना की सुविधा देकर पारदर्शिता और भागीदारी को भी प्राथमिकता दी है।
जनगणना (Census) 2027 से जुड़ी 10 बड़ी बातें
> फील्ड में डोर-टु-डोर जनगणना (Census) करने के लिए 34 लाख सर्वे करने वाले और सुपरवाइजर लगाए जाएंगे, जो फील्ड से डेटा इकठ्ठा करने का काम करेंगे।
> इसके अलावा एक लाख 30 हजार जनगणना पदाधिकारी तैनात किए जाएंगे, ये सारे कर्मचारी जनगणना के लिए फील्ड सर्वे से लेकर इसका पूरा डेटा बनाने का काम करेंगे। जनगणना में जाति भी पूछी जाएगी।
जनगणना डिजिटल की जाएगी, इसके लिए मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करते हुए यह डिजिटल माध्यम से की जाएगी।
> मंत्रालय ने बताया कि दो चरणों में की जाने वाली जनगणना में पहले चरण में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना (HLO) की जाएगी।
> इसमें प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं के बारे में जानकारी इकट्ठी की जाएगी।
इसके बाद दूसरे चरण में जनगणना (PE) में प्रत्येक घर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य जानकारी एकत्र की जाएगी।
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> इसमें जाति गणना भी की जाएगी, यह जनगणना प्रक्रिया शुरू होने के बाद से 16वीं जनगणना है और देश की आजादी के बाद 8वीं जनगणना है।
> लोगों को स्व-गणना का प्रावधान भी उपलब्ध कराया जाएगा।
> जनगणना से जुड़े तमाम डेटा की निजता और सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया जाएगा।
जिसमें जनगणना के लिए डेटा इकट्ठा करना, उसे ट्रांसफर और स्टोर करने समेत हर कदम पर डेटा लीक ना होने पाए। इसके कड़े इंतजाम होंगे।
1881 से 1971 में जनसंख्या वृद्धि का इतिहास
इतिहासकार के मुताबिक 1881 से 1971 के बीच, उत्तर भारत की जनसंख्या में सबसे कम वृद्धि हुई जो कि लगभग 115% थी। अन्य क्षेत्रों में यह वृद्धि अधिक रही। दक्षिण भारत में 193%, पश्चिम भारत में 168% और पूर्वी भारत में 213% की वृद्धि हुई। वहीं, 1881-2011 के दौरान भी उत्तर भारत में सबसे कम वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि 427% थी। वहीं 1881-2011 के दौरान भी, उत्तर भारत में 427% की वृद्धि के साथ सबसे नीचे रहा। दक्षिण भारत में 445%, पश्चिम भारत में 500% और पूर्वी भारत में 535% की वृद्धि हुई।