नई दिल्ली| आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू टेलविजन उद्योग को बढ़ावा के लिए केन्द्र सरकार टीवी आयातकों के लिए कोटा (एक तय संख्या) तय करने की तैयारी में है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि घरेलू टेलीविजन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सैमसंग, एलजी, सोनी समेत कई दूसरी कंपनियों को टीवी आयात के लिए लाइसेंस देने में देरी की है।
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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) को टीवी निर्यात कंपनियों के लिए एक कोटा तय करने का प्रस्ताव भेजा है। इसके साथ ही सरकार ने पिछले साल टीवी कंपनियों द्वारा आयात किए गए टीवी सेट का डेटा भी मांगा है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की पूरी कवायद भारत-आसियान मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) का गलत तरीके से फायदा उठाकार चीन और वियातनाम से आ रहे टेलीविजन के आयात को रोकना और घरेलू मैन्युफैक्चिरंग उद्योग को बढ़ावा देना है।
उद्योग सूत्रों के अनुसार, 60 से 65 इंच वाले टीवी स्क्रीन जिसकी कीमत एक से दो लाख रुपये है भारत में नहीं बनते हैं। इनका आयात ही किया जाता है। इसकी वजह यह भी है कि भार में महंगी टीवी की मांग बहुत कम है। ऐसे में कंपनियों के लिए इनका भारत में उत्पादन करना घाटे का सौदा है।
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भारत के ज्यादातर टीवी कारोबारियों को चीन से आयात रुकने पर कीमत बढ़ने का डर सता रहा है। कारोबारियों का कहना है कि चीन से आपूर्ति बाधित होने के कारण जुलाई में पैनलों के दाम 40 से 45 फीसदी तक बढ़ घए। फ्लैट पैनल का पूरी तरह आयात होता है और इसमें चीन की हिस्सेदारी अहम है।