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चेन स्नेचरों को हो सकती है 14 साल की सजा, खरीदने वालों पर भी कसेगा शिकंजा

chain snatcher

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उत्तर प्रदेश में चेन स्नैचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए विधि आयोग ने ऐसे अपराधियों को 3 से 14 वर्ष तक के कारावास व जुर्माने की सजा देने की सिफारिश की है। आयोग ने कहा कि कानून में ऐसे अपराध के लिए अलग से प्रावधान नहीं है, इसलिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में धारा 379-ए और 379-बी जोड़कर सजा के प्रावधान होने चाहिए।

विधि आयोग ने आईपीसी की धारा 410 में चोरी के साथ स्नैचिंग शब्द जोड़ने की भी सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि स्नैचिंग के दौरान लूटे गए जेवरात को बाजार में बेच दिया जाता है। खरीदने वाले जेवरात को गला देते हैं, जिससे उसकी रिकवरी नहीं हो पाती है। इससे सजा की संभावना कम होती है।

आयोग ने आईपीसी की धारा 411 से 413 तक में संशोधन कर छीनी गई संपत्ति, ऐसी संपत्ति खरीदने वाले लोगों को भी आरोपी बनाने और उनके लिए भी सजा का प्रावधान करने की सिफारिश की है।

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धारा 379-ए : इसमें सामान्य रूप से चेन स्नैचिंग के अपराध के लिए न्यूनतम तीन से 10 साल तक कारावास व जुर्माने की सजा की सिफारिश।

धारा 379-बी : चेन स्नैचिंग के दौरान संबंधित महिला, बच्चे या व्यक्ति से मारपीट करने, गंभीर रूप से चोटिल करने, हत्या करने के अपराधी को 5 वर्ष से 14 वर्ष तक की सजा देने की सिफारिश।

विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक का कहना है, ‘चेन स्नैचिंग पर लॉ कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। विधि विभाग की रिपोर्ट और मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुतीकरण के बाद इस पर आगे की कार्यवाही होगी।’

अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी का कहना है, ‘विधि आयोग की रिपोर्ट लागू होती है तो यह महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में बड़ा कदम होगी। इससे चेन स्नैचिंग की घटनाओं पर अंकुश भी लगेगा।’

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चेन स्नैचिंग की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में धारा 379-ए व 379-बी जोड़ने और दंड प्रक्रिया में संशोधन की सिफारिश करने वाले विधि आयोग ने कहा है कि आईपीसी में संशोधन के लिए विधानसभा सक्षम है।

विधि आयोग का कहना है कि अनुच्छेद 245 के तहत उत्तर प्रदेश विधानमंडल आईपीसी की धारा 379-ए और 379-बी को लागू करने में सक्षम है। आयोग का कहना है कि प्रदेश में चेन स्नैचिंग का अलग से कानून नहीं होने के कारण विधानसभा में क्रिमिनल लॉ संशोधन बिल को पारित कराकर इसे लागू किया जा सकता है।

विधि आयोग ने बताया है कि वर्ष 2015 में चेन स्नैचिंग की 827, 2016 में 1025, 2017 में 1098, 2018 में 1425 और 2019 में 1233 के मामले दर्ज हुए। दिल्ली से जुड़े अपराधी प्रदेश के मुरादाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मेरठ में ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

इनके अतिरिक्त गाजियाबाद, कानपुर नगर, वाराणसी, बहराइच, लखीमपुर खीरी, फतेहगढ़, झांसी, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़ और बरेली में चेन स्नैचिंग की घटनाएं सबसे अधिक हुई है।

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