इस बार 30 मई के शनि जयंती (Shani Jayanti) पड़ रही है. हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाती है. इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन शनि देव की पूजा करने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. जीवन के दुख दूर होते हैं. छल, कपट, ईर्ष्या और द्वेष से दूर रहने वाले व्यक्ति के साथ शनि देव कभी अन्याय नहीं होने देते हैं. शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए आप कुछ मंत्रों का जाप कर सकते हैं. वहीं सच्चे मन से शनि देव की आरती करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
शनि देव के इन मंत्रों का करें जाप
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या प्रभाव को कम करने के लिए शनि देव के इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं. यहां दिए मंत्रों का 108 बार जाप करें. इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं. ऐसा करने से साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है. शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन मंत्रों का जाप करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इन मंत्रों का जाप करन से सारे दुख दूर होते है.
शनि देव के मंत्र
>> ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
>> ॐ शं शनैश्चराय नमः।
>> ॐ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
>> ॐ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
>> ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।। शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्। दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
>> ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
>> ॐ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
इस विधि से करें मंत्रों का जाप
सुबह जल्दी उठें. स्नान करें. स्नान करने पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें. साफ कपड़े पहनें. मंदिर जाएं. मंदिर जाकर विधि-विधान से शनि देव की पूजा करें. इसके बाद सच्चे मन इन मंत्रों का जाप करें. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होंगे और आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
भगवान शनिदेव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।