गणेश चतुर्थी के बाद दस दिनों तक प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व होता है। इन दिनों में जो भी भक्त सच्चे हृदय से बप्पा की उपासना करता है गणेशजी उनके सारे दु:ख दूर कर देते हैं। हालांकि, मान्यता है कि जैसी मनोकामना हो उस हिसाब से ही गणपति जी की मूर्ति की आराधना करनी चाहिए।
इससे मनोकामना जल्द पूरी होती है। हम आपको बताने जा रहे हैं गणेश जी के विभिन्न स्वरुप और मनोकामना के हिसाब से गणेश जी की कौन सी प्रतिमा की आराधना सर्वश्रेष्ठ रहेगी।
भगवान गणेश को मंदिर में स्थापित करने और घर में स्थापित करने के विषय में भी कहा जाता है कि अगर मंदिर में गणेश जी की स्थापना करना हो तो दक्षिणामुखी गणेश जिन्हें सिद्धिविनायक कहा जाता है स्थापित करना चाहिए। वहीं अगर घर में गणेश जी की स्थापना करनी है तो वाममुखी महागणपति जो वक्रतुंड भी कहलाते हैं उनकी स्थापना करना सर्वश्रेष्ठ होता है।
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संतान सुख के लिए रखें बाल गणेश
जो लोग बप्पा के सामने संतान सुख के लिए अर्जी लगाना चाहते हैं, उन्हें अपने घर में बाल गणेश की प्रतिमा या उनकी तस्वीर रखकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। नियमित बालगणेश के पूजन-अर्चन से संतान प्राप्ति में आने वाली सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही बुद्धिमान, स्वस्थ्य संतान की प्राप्ति होती है।
बुद्धि-विवेक के लिए हैं नाचते हुए गणेश
अगर घर में खुशहाली और बुद्धि एवं विवेक प्राप्ति की कामना है तो ऐसी सूरत में घर में भगवान महागणेश की नृत्यमुद्रा वाली प्रतिमा को रखना श्रेष्ठ होता है। इस प्रतिमा की पूजा खासतौर पर छात्रों को करना चाहिए। कला जगत के लोगों को भी बप्पा के इस स्वरुप का ध्यान करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
सुख-आनंद के लिए लेटे गणेशजी
लेटे हुए गणेश जी या गणेश जी आसन पर विराजमान हो तो ऐसी प्रतिमा को घर पर लाना शुभकारी होता है। इससे घर में सुख और आनंद में बढ़ोतरी होती है।
विघ्नहर्ता हैं सिंदूरी लाल रंग के गणेश
भगवान गणेश का एक नाम विघ्नहर्ता भी है। अगर भक्त सच्चे दिल से उनकी उपासना करते हैं तो वे अपने भक्तों के सारे कष्ट दूर कर देते हैं। घर में किसी भी तरह का विघ्न न आए इसके लिए सिंदूरी लाल रंग के गणेश जी को घर में लाना चाहिए।