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मां की मौत से बच्चों को लगा सदमा, सालों तक कमरे में रहे कैद

मां की मौत से बच्चों को लगा सदमाChildren's shock caused by mother's death

मां की मौत से बच्चों को लगा सदमा

गुजरात। घटना गुजरात की बताई जा रही है। यहां तीन भाई बहन एक अंधेरे कमरे में सालों से बंद बताए जा रहे थे। आज एक एनजीओ की मदद से तीनों भाई बहनों को बाहर निकाला गया है। अब उनके इलाज की व्यवस्था की जा रही है।

मामला गुजरात के राजकोट का बताया जा रहा है। जहां पर तीन भाई बहनों ने खुद को सालों तक एक अंधेरे कमरे में बंद रखा। आज एक एनजीओ ने तीनों भाई बहनों को बंद कमरे से बाहर निकाला है। इसमें इस एनजीओ की मदद तीनो बहन भाइयों के पिता ने की है।

साथी सेवा ग्रुप नाम की एनजीओ ने जब कमरे का दरवाजा तोड़ा। तो वहां का नजारा काफी दर्दनाक था। एक अंधेरे कमरे में दो भाई एक बहन बंद थे। वहां पर मानव मल की बदबू आ रही थी। ऐसा लग रहा था। जैसे सालों से यहां से कोई बाहर नहीं गया। जो लोग कमरे में बंद थे। उनमें 30 से 40 साल के उम्र के लोग शामिल है।

बताया जा रहा है कि मां की मौत के बाद अमरीश, भावेश और उनकी बहन मेघना सालों से एक कमरे में बंद थे। तीनों की स्थिति बहुत नाजुक दौर से गुजर रही थी । वह इतने कमजोर हो गए थे कि खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। कमरे में बंद भाई बहनों के पिता ने बताया कि 10 साल पहले इनकी मां की मौत हो गई थी। तब से लोगों ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था।

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एनजीओ की तरफ से तीनों भाई बहनों के इलाज की व्यवस्था की जा रही है। जहां पर उन्हें बेहतर उपचार तथा भोजन मिल सके। जो तीनों लोग कमरे में बंद बताए जा रहे हैं। उनमें अमरीश की उम्र 42 साल है और उसने एलएलबी की पढ़ाई कर रखी है। वही मेघना (39 साल ) मनोविज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएट है। जबकि भावेश स्नातक बताया जा रहा है। तीनों  भाई बहनों के पिता के मुताबिक वह कमरे के बाहर खाना रख देते थे। तीनों भाई बहन वहीं से खाना लेकर कमरे में ही रहते थे।

 

 

 

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