नई दिल्ली. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट के जरिए चीन के शिनजियांग में निर्माणाधीन दूसरे भूमिगत परमाणु मिसाइल भंडार का पता लगाया है। फेडरेशन आफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (एफएएस) ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट के जरिए ली गई तस्वीरों के आधार पर रिपोर्ट में दावा किया है कि इस भूमिगत मिसाइल गोदाम का निर्माण हाल ही में शुरू हुआ है। यहां 200 से ज्यादा साइलो बनाए जा रहे हैं।
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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हामी में साइलो स्थल पर निर्माण कार्य मार्च 2021 के आरंभ में शुरू हो चुका है और यह तेजी से जारी है। प्लेनेट लैब द्वारा मुहैया कराई गई सैटेलाइट तस्वीरों से करीब 110 साइलो का निर्माण पूरा हो चुका है। रिपोर्ट के लेखक व अमेरिकी वैज्ञानिकों के संगठन एफएएस के परमाणु सूचना प्रोजेक्ट के निदेशक हैंस क्रिस्टेनसेन के अनुसार हामी व युमेन दोनों में मिसाइल साइलो फील्ड चीन के बेहद अंदरूनी हिस्से मे बनाए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि उन्हें अमेरिका की परंपरागत क्रूज मिसाइलों की पहुंच से दूर रखा जा सके।
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200 से ज्यादा मिसाइल साइलो का अनुमान
चीन के दो नए साइलो फील्ड्स का पता चलने के आद एफएएस का अनुमान है कि ड्रैगन अपने परमाणु हथियारों को छिपाने के लिए कम से कम 200 से ज्यादा साइलो का निर्माण कर रहा है। वर्तमान में चीन की अंतर देशीय मिसाइलों के लिए बनाए गए साइलो के मुकाबले इनकी क्षमता करीब 10 गुना ज्यादा है। इसके अलावा चीन सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) के छोटे साइलो अलग से हैं।
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Silos का पता चलना इत्तेफाक या चीन की साजिश?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सैटेलाइट तस्वीरों में परमाणु मिसाइलों के सैकड़ों लॉन्च ठिकानों का पता लगना कोई इत्तेफाक नहीं है। दरअसल, यह साइलोज बनाए ही इसलिए गए हैं ताकि दुनिया को दिख जाएं। दरअसल, आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा के चलते चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा अमेरिका और रूस जितना बढ़ा कर उनकी नुमाइश करना चाहता है।