उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की एक विधि छात्रा के साथ यौन संबध बनाने और उसे अपनी कस्टडी में रखने के आरोप में फंसे बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद शुक्रवार को अदालत ने बरी कर दिया है। लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने उनके खिलाफ काई साक्ष्य न पाते हुए यह फैसला सुनाया है।
गौरतलब हो कि छात्रा अदालत में विचारण के दौरान पहले ही अपने बयानों से मुकर गयी थी। उसने कहा था कि प्राथमिकी और उसके पुलिस द्वारा दर्ज किये गये बयान गलत थे। उसने चिन्मयांनद को निर्दोष बताया था। इसके साथ ही रंगदारी व जानमाल की धमकी के मामले में छात्रा व पांच अन्य अभियुक्त संजय सिंह, डीपीएस राठौर, विक्रम सिंह, सचिन सिंह व अजीत सिंह को भी साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। विशेष अदालत में फैसला सुनाए जाते वक्त चिन्मयांनद सहित सभी अभियुक्त उपस्थित थे।
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इस बहुचर्चित मामले की एफआईआर 27 अगस्त 2019 को अन्त:वासी छात्रा के पिता ने थाना कोतवाली जिला शाहजहांपुर में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक उनकी पुत्री एलएलएम कर रही है। वो कॉलेज के हास्टल में रहती थी। 23 अगस्त से उसका मोबाइल बंद है। उसका फेसबुक वीडीओ देखा। जिसमें स्वामी चिन्मयानंद व कुछ अन्य लोगों द्वारा उसका व अन्य लड़कियों का शारीरिक शोषण व दुष्कर्म तथा जान से मारने की धमकी दी गई थी।
मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पुत्री के साथ कोई अप्रिय घटना करके कहीं गायब कर दिया गया है। जब मैने स्वामी जी से मोबाइल पर संपर्क किया, तो सीधे मुंह बात नहीं करके मोबाइल बंद कर लिया। उनकी पुत्री के कमरे में ताला बंद है। वीडीओ के मुताबिक उसमें साक्ष्य व सबूत होने की बात कही गई है। अभियुक्तगण राजनैतिक व सत्ता पक्ष के दंबग तथा गुंडा किस्म के लोग हैं। साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकते हैं। लिहाजा उसका कमरा वीडीओ व मीडिया के सामने सील किया जाए।
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मालूम हो कि 20 सितंबर 2019 को इस मामले में चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। चार नवंबर 2019 को इस मामले में चिन्मयानंद के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(सी), 354(डी), 342 व 506 में आरोप पत्र दाखिल की थी।