कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार को देखते हुए दवा उत्पादक कंपनी सिप्ला ने कोरोना की दवा रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। भारतीय बाजार में इस दवाई की शॉर्टेज हो जाने के कारण सिप्ला ने इस दवा के उत्पादन को दोगुना करने का फैसला लिया है।
कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देश के हर हिस्से में रेमडेसिविर की मांग काफी बढ़ गई है। इसके कारण पिछले कुछ दिनों से लगातार बाजार में इस दवा के कम होने की खबरें आ रही हैं। यहां तक कि वडोदरा, सूरत और पुणे में इस दवा की कालाबाजारी होने तक की खबरें आई हैं। रेमडेसिविर के लिए मुंबई समेत कई शहरों मे लोगों को लंबी लंबी कतारे लगानी पड़ रही हैं।
भारतीय बाजार में इस दवा की किल्लत हो जाने के कारण भारत सरकार ने भी इसके निर्यात पर फिलहाल रोक लगा दी है। रेमडेसिविर के निर्यात पर रोक लगाने के साथ ही इसको तैयार करने के लिए इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) के निर्यात को भी अगले आदेश तक के लिए पूरी तरह से रोक दिया गया है, ताकि भारतीय बाजार में कोरोना से बचाने वाली इस दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
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रेमडेसिविर का उत्पादन करने वाली फार्मा कंपनियों में से एक सिप्ला का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इस दवा की मांग अचानक काफी तेजी से बढ़ी है। जिसकी वजह से देश के हर हिस्से में इसकी पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो सकी। मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने की वजह से इसकी कमी महसूस की जाने लगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने अब रेमडेसिविर के उत्पादन को दोगुना कर दिया है।
दवा बनाने वाली कंपनी सिप्ला ने एक बयान जारी करके कहा है कि कोरोना की पहली लहर के वक्त रेमडेसिविर का जितना उत्पादन हो रहा था, उसके मुकाबले कोरोना के दूसरी लहर के दौरान पहले ही दोगुना उत्पादन कर दिया गया है। इसके बावजूद दवा की मांग अचानक बहुत बढ़ गई है, जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसीलिए कंपनी ने उत्पादन को और बढ़ाने का फैसला तो किया ही है, दवा की मांग को कंपनी के नेटवर्क के जरिये पूरा करने की भी कोशिश की जा रही है।
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अभी भारत में सिप्ला को मिलाकर कुल सात दवा कंपनियां रेमडेसिविर का उत्पादन कर रही हैं। इसके लिए इन कंपनियों ने अमेरिकी फार्मा कंपनी गिलियाड साइंसेज से ट्रेड एग्रीमेंट किया है। केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स का दावा है कि इन सातों कंपनियों की कुल उत्पादन क्षमता प्रति माह 38.8 लाख यूनिट दवा तैयार करने की है। भारतीय दवा बाजार में रेमडेसिविर की किल्लत को देखते हुए फिलहाल ये कंपनियां दवा का उत्पादन करने में अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर रही हैं।