लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा है कि यह अत्यंत आवश्यक है कि अपराधी व माफिया प्रवृत्ति, यहां तक खराब छवि के लोग सिंचाई विभाग की परियोजनाओं की ठेकेदारी में कतई प्रवेश न करने पाएं। ठेकेदार तय करते समय सूक्ष्मता से इसकी पड़ताल कर इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि ऐसा हुआ और उसमें किसी शासकीय अधिकारी, कर्मचारी की संलिप्तता मिली तो उसके खिलाफ भी मिलीभगत का दोषी मानकर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने बुधवार को शासन के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर बाढ़ प्रबंधन (Flood Management) की समीक्षा के दौरान कहा कि अतिसंवेदनशील और संवेदनशील प्रकृति वाले जिलों में जिलाधिकारी, क्षेत्रीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन की उपस्थिति में बाढ़ पूर्व हो रही तैयारियों की समीक्षा करें। यह कार्य जून के पहले सप्ताह में कर लिया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को 15 जून तक बाढ़ प्रबंधन की तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी जिलों को एलर्ट मोड में रहने के लिए निर्देशित किया है। इस बैठक में अतिसंवेदनशील और संवेदनशील जिलों के जिलाधिकारियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए और अपनी तैयारी के बारे में मुख्यमंत्री (CM Yogi) को अवगत कराया।
982 बाढ़ परियोजनाएं पूरी
उन्होंने (CM Yogi) कहा 06 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। 2017-18 से अब तक 982 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। इसमें 282 परियोजनाएं अकेले वर्ष 2022-23 में पूरी की गई हैं। वर्तमान में 265 नई परियोजनाएं, 07 ड्रेजिंग संबंधी परियोजना और पूर्व से संचालित 140 परियोजनाओं सहित कुल 412 परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। यह सुखद है कि इनका 50 फीसद कार्य पूरा हो गया है। बचे हुए कार्य को तय समय के भीतर पूरा करा करने के निर्देश दिए।
24×7 एक्टिव मोड में रहें
मुख्यमंत्री (CM Yogi) ने कहा कि अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति के लिए पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबन्ध होना चाहिए। सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियां एक्टिव मोड में रहें। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी स्वयं निरीक्षण कर लें। सभी विभाग आपसी तालमेल के साथ कार्य करें। प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3869 किमी लंबाई वाले 523 तटबंध निर्मित हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24×7 एक्टिव मोड में रहें।
जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग
बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील तटबन्धों के मरम्मत कार्य पूरा कर लिए जाएं। हमें बाढ़ के साथ-साथ जलभराव के लिए भी ठोस प्रयास करना होगा। जिलाधिकारी स्वयं जलभराव से बचाव के लिए व्यवस्था की देखरेख करें। प्रत्येक दशा में 30 जून तक नालों आदि की सफाई का कार्य पूर्ण करा ली जाए। बाढ़ की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। नदियों के जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी तथा आपदा प्रबंधन टीमें 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाए।
नौकाएं, राहत सामग्री आदि के प्रबंध समय से कर लें। बाढ़, अतिवृष्टि से पर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। नौका बड़ी हो। छोटी नौका, डोंगी का प्रयोग कतई न हो। नौका पर सवार सभी लोग लाइफ जैकेट जरूर पहने हुए हों। बाढ़ के दौरान और बाद में बीमारियों के प्रसार की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष स्वास्थ्य किट तैयार करके जिलों में पहुंचा दिया जाए। बाढ़ के दौरान आवश्यकतानुसार पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। बाढ़ प्रभावित लोगों को दी जाने वाली राहत सामग्री की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। राहत आयुक्त स्तर से खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। राहत सामग्री का पैकेट मजबूत हो, लोगों को कैरी करने में आसानी हो।
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जनपद बिजनौर में विदुरकोटि के पास पूर्व में गंगा जी का प्रवाह था। बदलते समय के साथ यह धारा दूर हो गई है। विदुरकोटि के पास गंगा की जलधारा प्रवाह के लिए परियोजना का प्रस्ताव तैयार करें। यह कार्य स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने में भी सहायक होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी के किनारे बसे आवासीय इलाकों और खेती की सुरक्षा में नदियों के चैनेलाइजेशन उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। यह कार्य सतत जारी रहना चाहिए। इसके लिए ड्रोन आदि नवीनतम तकनीक का प्रयोग करते हुए समय से कार्ययोजना तैयार करें। जो सिल्ट निकले उसका नियमानुसार ऑक्शन किया जाए। इस बैठक में अधिकारियों के अलावा जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह भी मौजूद रहे।
संवेदनशील और अतिसंवेदनशील जिले
प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील की श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं।