उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति में क्षेत्रीय विषमता प्रमुख बाधक तत्व है और इसी क्षेत्रीय विषमता को समाप्त करने के लिए उनकी सरकार ने पूर्वांचल और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए विकास बोर्ड का गठन किया है।
श्री योगी ने शनिवार को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये मुरादाबाद में गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘पूर्वांचल का सतत विकास-मुद्दे, रणनीति और भावी दिशा’ के समापन सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि इन दोनों क्षेत्रों के लोगों को भगवान बुद्ध के ‘अप दीपो भवः’ से प्रेरित होकर विकास की प्रक्रिया में सहभागी बनना चाहिए।
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संगोष्ठी के आयोजन की सराहना करते हुए उन्होने कहा कि पिछले तीन दिनों से पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास के सम्बन्ध में जो मन्थन हो रहा है, यह निश्चित रूप से उपयोगी है। उन्होंने कहा कि इस मन्थन से जो निष्कर्ष सामने आये हैं, उनके सम्बन्ध में एक मंत्रिमण्डलीय उप समिति बनायी जाएगी। यह उप समिति आगामी तीन महीने के अन्दर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध कराएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने पूर्वांचल में विगत कई दशकों से अभिशाप बनी, इन्सेफेलाइटिस की बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण लगाया। यह कार्य अन्तर्विभागीय समन्वय और विभागीय बजट के माध्यम से किया गया। इसके लिए अलावा बजट की आवश्यकता नहीं पड़ी। प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल की चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करके, इन्सेफेलाइटिस से संक्रमित रोगियों के बेहतर सर्विलान्स, चिकित्सकों तथा चिकित्साकर्मियों के प्रशिक्षण एवं मरीजों के बेहतर उपचार की व्यवस्था की।
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ग्राम्य विकास व पंचायतीराज तथा नगर विकास विभाग को उनके क्षेत्रों में शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन की जिम्मेदारी दी गयी। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को पुष्टाहार उपलब्ध कराने तथा बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा को बीमारी के प्रति जागरूकता पैदा करने का दायित्व दिया गया। पूरी कार्यवाही की निरन्तर निगरानी सुनिश्चित की गयी। इससे प्रदेश के इन्सेफेलाइटिस से प्रभावित क्षेत्रों में इस बीमारी पर नियंत्रण में मदद मिली।
श्री योगी ने कहा कि इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण के लिए अपनायी गयी नीति को कोविड-19 के नियंत्रण एवं उपचार के लिए भी लागू किया गया। इसके परिणाम भी बहुत ही प्रभावी रहे। प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण पर नियंत्रण की सराहना डब्ल्यूएचओ द्वारा भी की गयी। पूर्वी उत्तर प्रदेश में समग्र विकास के लिए भी ऐसी ही कार्ययोजना लागू करके उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए सभी संस्थाओं को पारस्परिक समन्वय के साथ कार्य करना होगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय की भांति अन्य अकादमिक सस्थाओं को भी आगे आना होगा। नियोजन विभाग और पूर्वांचल विकास बोर्ड को प्रत्येक संस्था के साथ जुड़कर कार्य करना पड़ेगा।