लखनऊ। यूपी निकाय चुनाव (Nikay Chunav) में सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) का जादू चल गया है। नगर निगम मेयर पार्षद से लेकर, नगर पालिका और नगर पंचायत तक बीजेपी ने बढ़त हासिल कर ली है। झांसी मेयर पद पर बिहारी लाल यादव की जीत के साथ ही बीजेपी 17 में 15 पर बढ़त बनाई हुई है। इसी तरह नगर पालिका की 199 में से 98 सीटों और नगर पंचायत की 544 में से 236 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी नगर निकाय चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। ये पहला चुनाव है जिसमें बीजेपी का प्रदर्शन सिर्फ योगी आदित्यनाथ के खाते में गया है। योगी की अगुवाई में जहां बीजेपी की बम-बम है वहीं सपा और बसपा बेदम नज़र आ रही हैं। अब सवाल ये है कि क्या निकाय चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती 2024 के लिए अपनी-अपनी रणनीति बदलेंगे? या फिर अभी की रणनीतियों को ही जारी रखना चाहेंगे।
यूपी नगर निकाय चुनाव (Nikay Chunav) 2023 की तैयारी हर राजनीतिक दल ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी तैयारी के लिटमस टेस्ट के तौर पर की थी। बीजेपी, सपा, बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित सभी दलों के लिए यह चुनाव संगठन के लिहाज से महत्वपूर्ण था। हर चुनाव को बेहद गंभीरता से लड़ने वाली बीजेपी ने इस चुनाव में भी पूरा जोर लगाया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाली। यूपी में पूरब, मध्य और पश्चिम तक उन्होंने रोज चार से पांच जिलों में धुआंधार सभाएं कीं और लोगों से ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगा। नतीजों से साफ है कि सीएम योगी जनता को केंद्र और प्रदेश के साथ स्थानीय निकायों में भी एक ही पार्टी की सरकार होने का महत्व समझाने में कामयाब रहे।
Nikay Chunav Result: रामनगरी में खिला कमल, झांसी में भी बीजेपी ने दर्ज की जीत
चुनावी जनसभाओं में केंद्र के साथ यूपी की डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां विस्तार से गिनाई गईं। सीएम योगी (CM Yogi) और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक विपक्ष पर तीखे हमले करते रहे। जबकि विपक्ष में समाजवादी पार्टी को छोड़ कोई अन्य दल पूरे प्रचार अभियान के दौरान सक्रिय नज़र नहीं आया।
फ्रंट फुट पर आकर बीजेपी का मुकाबला करने की बजाए अखिलेश यादव भी किसी दिन दो तो किसी दिन तीन जिलों में सभाएं करते रहे। प्रचार के अंतिम दौर में जरूर उन्होंने, उनकी पत्नी सांसद डिंपल यादव ने और चाचा शिवपाल सिंह यादव ने रोड शो में ताकत दिखाई लेकिन परिणामों में इसका बहुत असर नज़र नहीं आ रहा है। वहीं बसपा सु्प्रीमो मायावती ने मुस्लिम कार्ड खेलकर यूपी में नई सोशल इंजीनियरिंग का संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने 17 नगर निगमों में से मेयर पद के लिए 12 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे। लेकिन प्रत्याशी घोषित करने के बाद ही वह निश्चिंत हो गईं। प्रचार के लिए वह निकली ही नहीं।