बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने एमएलसी चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को हराने की मंशा को दोहराते हुये सोमवार काे कहा कि कांग्रेस और सपा उनके इस बयान कर गलत प्रचार कर मुस्लिम समुदाय को बरगलाने का प्रयास कर रहे है लेकिन उनके इरादे सफल नहीं होंगे।
सुश्री मायावती ने सोमवार को कहा कि सपा को उसके दलित विरोधी कृत्यों का जैसे को तैसा जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश में मेें जल्द होने वाले एमएलसी के चुनाव में सपा के दूसरे खड़े किये गये प्रत्याशी को हराने के लिये बसपा को यदि भाजपा अथवा अन्य दल के प्रत्याशी को वोट देना पड़ता है, तो जरूर देंगे।
उन्होने कहा “ मेरे इस बयान को, खासकर कांग्रेस और सपा के लोग अपने राजनैतिक लाभ के लिये इसे, काफी कुछ गलत तरीके से भी प्रचारित कर रहे हैं ताकि खासकर ‘मुस्लिम समाज’ के लोग बसपा से अलग हो जायें हालांकि लाख जतन’ करने के बावजूद भी इनको कोई कामयाबी मिलने वाली नहीं है। प्रदेश के मुस्लिम समाज के लोगों को यह बात अच्छी तरह से मालूम है कि बसपा ने विशेष परिस्थितियों में या फिर पूर्ण-बहुमत ना मिलने की स्थिति में उत्तर प्रदेश भाजपा के सहयोग से या फिर भाजपा के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई है, तो तब फिर हमने दूसरी पार्टियों की तरह अपने राजनैतिक स्वार्थ में कभी भी अपनी पार्टी की ‘‘मूवमेन्ट व विचारधारा‘‘ के खिलाफ जाकर कोई भी गलत कार्य नहीं किया है।”
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उन्होने कहा कि हमने केवल ‘सर्वजन व सर्वधर्म हिताय एवं सुखाय’ की नीतियों पर आधारित अपनी पूरी ईमानदारी व निष्ठा से सरकार चलाई है जिसकी खास वजह से ही, जब-जब भी यूपी में बसपा ने भाजपा के सहयोग से या फिर, इनके साथ मिलकर मिली-जुली सरकार बनाई है, तो तब-तब, फिर यहाँ भाजपा काफी हद तक कमजोर हुई है। यह बात सर्वविदित है। दूसरी तरफ, जब-जब यहाँ सपा सत्ता में आयी है तो तब-तब यहाँ बीजेपी काफी मजबूत हुई है तथा फिर यह सत्ता में भी आसीन हुई है और सपा की खास वजह से ही अभी भी यह पार्टी यहाँ सत्ता में आसीन है।
सुश्री मायावती ने कहा कि भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के बावजूद भी बसपा ने अपने चाराें रहे शासनकाल में, यहाँ एक भी ‘हिन्दू-मुस्लिम दंगा’ नहीं होने दिया है, यह आप लोग सरकारी रिकार्ड भी उठाकर देख सकते हैं जबकि वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस व सपा का शासनकाल ‘‘हिन्दू-मुस्लिम दंगों’’ से काफी भरा रहा है।
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उन्होने कहा कि बसपा ने अपनी चारों रही सरकारों में, मुसलमानों को भी, हर मामले में, उनकी आबादी के हिसाब से उन्हें उचित प्रतिनिधित्व भी दिया है। चाहे वह जनरल इलेक्शन हो या बाई इलेक्शन, अभी यूपी में सात सीटों पर बाई इलेक्शन हो रहे हैं, जिसमें से हमने दो सीटें मुस्लिम समाज को दिया है।