जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने लोकसभा में पारित कृषि विधेयकों का कड़ा विरोध किया है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने सरकार पर कॉर्पोरेट संस्कृति को बढ़ावा देने और खेती में किसान की भूमिका को सीमित करने का आरोप लगाया।
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डोटासरा ने मीडिया से कहा कि कृषि के सभी तीन अध्यादेश बिचौलियों को प्रोत्साहित करेंगे। साथ ही बड़े उद्योगपतियों को बढ़ावा देंगे। इससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा और किसान की छवि मजदूर जैसी हो जाएगी। मंडी प्रणाली भी खत्म हो जाएगी। हालांकि बड़े व्यापारियों को इस प्रणाली से लाभ होगा।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है और वह किसान विरोधी बिलों का विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस में एक राष्ट्र, एक बाजार की बात कर रही है, लेकिन यह प्रणाली मंडी प्रणाली को खत्म कर देगी और यह कॉपोर्रेट्स और बड़े व्यापारियों को अपने मूल्यों पर फसल खरीदने में सक्षम बनाएगी।
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इसी तरह ‘फार्मस (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस अश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस ऑर्डिनेंस’, 2020 के तहत अनुबंध के आधार पर खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान जमीनों पर मजदूर के रूप में काम करेंगे और उनके भविष्य के लिए कोई सुरक्षा भी नहीं मिलेगी।इसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 में संशोधन कालाबाजारी और जमाखोरी को बढ़ाने वाला है।
डोटासरा ने तीनों विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया और कहा कि केंद्र ने अपने सहयोगियों से राय नहीं ली। इस पर भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि बेहतर होता कि गुरुवार को लोकसभा में पारित हुए तीन विधेयकों को डोटासरा अच्छी तरह पढ़ते। तब वे किसानों को गुमराह करने की ऐसी कोशिश नहीं करते।
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राठौड़ ने कहा कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कृषि उत्पाद बाजार अधिनियम में संशोधन करने और देश के किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए एक साझा बाजार उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। उन्होंने आगे कहा कि उसके मुताबिक तो केंद्र सरकार ने किसानों को किसी भी स्थान पर किसी भी व्यक्ति और किसी भी व्यापारी को अपनी उपज बेचने की अनुमति देकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है।