असम। पश्चिम बंगाल के साथ असम में भी चुनावी बिगुल बज चुका है। कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा पूरे राज्य में घूम-घूमकर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भर कर माहौल बना भी रही हैं। मंगलवार को भी प्रियंका गांधी की अलग-अलग तस्वीरें सामने आईं है। इस दौरान उन्होंने एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा है।
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प्रियंका ने प्रधानमंत्री के ‘असम की चाय खतरे में है’ बयान पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि किसी एक के ट्वीट करने से असम की चाय खतरे में नहीं होती। असम के अस्तित्व पर जो वार भाजपा और आरएसएस ने किया है, उसके अस्तित्व पर खतरा वही है। यहां न तो डबल इंजन की सरकार चाहिए और रिमोट कंट्रोल वाला सीएम चाहिए। असम के लोगों को एक नेता, एक सीएम और एक पार्टी चाहिए जो उनके अस्तित्व को बचाकर उनके लिए काम करे।
CAA-NRC पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को घेरते हुए प्रियंका ने कहा कि उनको देश की एकता से दिक्कत है, उनको दिक्कत प्रदेश की एकता से है। CAA-NRC की बात गृहमंत्री ने पूरे देश में की तो यहां आकर चुप क्यों हो जाते हैं? बीजेपी ने चुनाव से पहले कहा था कि असम NRC लागू नहीं करेंगे तो फिर क्यों लागू किया?
तेजपुर की रैली में क्या बोलीं प्रियंका?
प्रियंका गांधी ने तेजपुर में मेगा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि असम आपकी मां है और आप अपनी पहचान व अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा सरकार ने आपसे किए हुए वादे पूरे नहीं किए और आपकी पहचान पर भी हमला किया है। हम वादे नहीं आपको गारंटी दे रहे हैं। ये 5 गारंटी आपके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए हैं।
- हम ऐसा कानून बनाएंगे जिससे CAA यहां लागू नहीं होगा।
- असम की गृहणियों के लिए प्रति माह 2000 रुपये गृहणी सम्मान राशि दी जाएगी।
- बिजली के 200 यूनिट मुफ्त जिससे हर महीने 1400 रुपये की बचत होगी।
- हम चाय के बागान के श्रमिकों को प्रति दिन 365 रुपये का पारिश्रमिक देंगे।
- हम युवाओं को 5 लाख रोजगार देंगे।
चाय बागान में काम करने वालों से मिलीं प्रियंका
इससे पहले तेजपुर के चाय बागान में काम करने वाली महिला मजदूरों से मिलने पहुंचीं प्रियंका गांधी ने बिना किसी संकोच के बड़ा सा टोकरा पीठ पर लादा, सिर पर कपड़ा रखा और टोकरी की रस्सी को सिर से लटकाकर बागान में चाय की पत्तियां चुनने लगीं। बागान की महिला मजदूर प्रियंका गांधी जैसी शख्सियत को अपने बीच पाकर निहाल हो गईं।
चाय की चुस्कियों का दौर भी चला
पत्तियां चुनने के बाद चाय की चुस्कियों का दौर भी चला। मजदूरों की लाई चाय के साथ प्रियंका ने ब्रेड भी खाई। इसी दौरान एक महिला मजदूरों के दोनों हाथ पकड़कर घिसी हुई सख्त हथेलियों को भी थामा। प्रियंका के इस संदेश को चाय मजदूरों ने भी बखूबी समझा और जिंदाबाद के नारों में कोई कंजूसी नहीं की।
इससे पहले प्रियंका ने असम की आदिवासी परंपरा को झूमकर सलाम बोला। लखीमपुर में किशोरियों के साथ बिहू नृत्य करती प्रियंका की ये तस्वीरें टीवी से लेकर सोशल मीडिया तक सुर्खियों में रहीं। प्रियंका सोमवार से ही असम के दौरे पर हैं। यहां पर वह असमी संस्कृति और अस्मिता की हर पहचान के आगे सिर झुका रही हैं। चाहे कामाख्या मंदिर में दर्शन हो या फिर इन सारों इशारों का लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ एक है और वह है असम की सत्ता, जिससे कांग्रेस पिछले चुनाव में बहुत बुरी तरह बेदखल हुई थी।
सीटों का समीकरण क्या है?
2016 में कांग्रेस को सिर्फ 26 सीटें मिली थीं। उसे अपनी 52 सीटें गंवानी पड़ी थीं, जबकि एनडीए ने 86 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। उसे 60 सीटों का सीधा फायदा मिला था। जाहिर है 5 साल में नुकसान की भरपाई कर पाना बेहद मुश्किल है, वह भी तब जब सारा दारोमदार अकेले प्रियंका के सिर पर हो, लेकिन प्रियंका अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही हैं।