कोलकाता। कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बने ग्रुप-23 की हवा निकलती नजर आ रही है। यही कारण है कि ग्रुप का नेतृत्व करने वाले नेता अभी तक कोई कार्यक्रम तय नहीं पाए हैं।
जम्मू के मंच से पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भले ही अगले कार्यक्रम में कई पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्रियों के शामिल होने का दावा किया हो, लेकिन मात्र सात नेता ही पहुंचे थे। जम्मू जमावड़े के बाद नेतृत्व भी सतर्क हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ अन्य नेताओं को संगठन में जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
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कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में हस्ताक्षर करने वाले कुछ नेता सीडब्ल्यूसी के बाद ही संगठन की जिम्मेदारी दे दी गई थी और वह जम्मू नहीं गए। जितिन प्रसाद प्रभारी बनने के बाद बंगाल में व्यस्त हैं। जबकि मुकुल वासनिक मध्यप्रदेश में संगठन के काम में जुट गए हैं। अरविंदर सिंह लवली को पहले ही केंद्रीय चुनाव समिति से जोड़कर जिम्मेदारी दे गई।
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वहीं महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चौहान को असम स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाया है। दिग्विजय सिंह के करीबी सांसद विवेक तन्खा के जी-23 में शामिल के बाद सबकी निगाह दिग्विजय सिंह पर थी, लेकिन नेतृत्व ने हाल में उन्हें दो राज्यों तमिलनाडु और पुडुचेरी की स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बना दिया।
हुड्डा को लेकर अभी असंजस की स्थिति
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुलकर जी-23 के साथ हैं, जबकि बेटे दीपेंद्र हुड्डा पार्टी का झंडा बुलंद किए हैं। वीरप्पा मोइली ने सफाई देते हुए खुद को जी-23 से अलग बताया था। अब वह कह रहे हैं कि चुनाव प्रचार के बीच कुछ असंतुष्ट नेताओं की तरफ से जारी बयानबाजी से वे सहमत नहीं हैं।