नई दिल्ली। पिछले दिसंबर में चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस ने मार्च महीने तक दुनिया के कई देशों को अपना शिकार बना लिया था। ये जानलेवा वायरस नया था इसलिए इसका इलाज या वैक्सीन तो दूर इस बारे में ज़्यादा जानकारी तक उपलब्ध नहीं थी। कई महीनों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार इस ख़तरनाक वायरस के लिए वैक्सीन तैयार की जा चुकी है।
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ब्रिटेन में तो लोगों को ये वैक्सीन लगनी भी शुरू हो गई है। इस वैक्सीन के कुछ हल्के साइड-इफेक्ट भी हैं, जिसकी वजह से इसे लेकर कई तरह की अफवाहें चल रही हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स की मानें तो आमतौर पर सभी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स होते हैं, और इनसे डरने की ज़रूरत नहीं है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स ये बताते हैं की वैक्सीन पूरी तरह से अपना काम कर रही है।
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वैक्सीन का इंजेक्शन जहां लगाया जाता है वहां सूजन हो जाती है। जहां टीका लगता है, वहां की रक्त वाहिकाओं में छेट हो जाते हैं, जिससे प्रतिरक्षा कोशिकाओं को मांसपेशियों के ऊतकों में जानें में मदद मिलती है, जिससे वो जगह लाल और सूज जाती है। लक्षणों की बात करें, तो इसके परिणामस्वरूप इंजेक्शन लगने वाली त्वचा लाल और सूज जाती है, मांसपेशियों में कठोरता और खराश हो सकती है, वहां के लिम्फ नोड्स कोमल और सूज जाते हैं और, अगर टीका पर्याप्त रूप से शक्तिशाली है, तो भी बुखार भी आ सकता है।
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यह वैक्सीन डिज़ाइन का संतुलन है- इसकी असुविधाजनक, लेकिन आवश्यक, दुष्प्रभावों को कम करते हुए संरक्षण और लाभ को अधिकतम किया गया है। इसका मतलब ये नहीं है कि गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं होंगे, ज़रूर होंगे लेकिन वे अत्यधिक कम हैं। सबसे चर्चित गंभीर दुष्प्रभावों में से दो, एनैफेलेक्सिस (एक गंभीर एलर्जी) और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, जो 5, 00,000 खुराकों में एक में देखी जाती है।