नई दिल्ली। भारत दूसरे देशों की तुलना में कोरोना महामारी से बेहतर तरीक़े से निपट रहा है। मोदी सरकार समाज के सभी तबक़ों ने एक साथ मिलकर यह जंग लड़ी है। अब तक 37, लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को टीका दिया जा चुका है। अभी सिर्फ़ बड़े लोगों को ही टीका दिया जा रहा है।
भारत में बच्चों के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (एसआईआई) बच्चों के लिए भी टीका बनाने का प्रयास कर रही है। कंपनी के अनुसार अक्टूबर माह तक यह टीका तैयार हो जाएगा व बच्चों को वह लगाना शुरू हो जाएगा।
यह जानकारी एसआईआई के निदेशक पीसी नाम्बियार ने कोच्चि के एक कार्यक्रम में दी है। यह टीका बच्चों को जन्म के एक महीने के अंदर लगाई जाएगी। आगे भविष्य मे इस करोना वैक्सीन को दवा के रूप में विकसित किया जाएगा ताकि अगर बच्चे कोरोना से संक्रमित हों तो उनका पर्याप्त इलाज किया जा सके। कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण बने हालात का असर बच्चों के सामान्य टीकाकरण पर भी हुआ है। बच्चों को जन्म के बाद जो टीकाकरण होता था उसमें भी मुश्किल आई है।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के कारण एशिया के कई भागों में बच्चों का नियमित टीकाकरण नहीं हो पाया है। अगर बच्चों को सही समय से वैक्सीन नहीं दिया गया तो एक और स्वास्थ्य आपातकाल का सामना करना पड़ सकता है। लोगों ने कोरोना महामारी के साथ साथ करोना वैक्सीन को लेकर भी शंका बनी हुई है, लेकिन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड देश व विदेश के लोगों और ख़ास तौर पर बच्चों की जान बचाने का कार्य किया। एसआईआई ने कोरोना वाइरस के टीका कोविशील्ड का उत्पादन भी वृहद स्तर पर किया है और उन्हें भारत सरकार को सौंपना शुरू कर दिया है।
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इन सभी घटनाओं के बीच सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से कोरोना के टीका की कीमत बता दी गई है। संस्थान के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए एक डोज की कीमत 500 से 600 रुपए देने हो सकती है। खबरों के अनुसार कोरोना के असरदार बचाव के लिए दो या तीन हफ्ते के अंतराल पर दो टीके लगाने पर सकते हैं। सरकार के द्वारा हौसलाअफजाई से भारतीय वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां पुरजोर मेहनत व इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करते हुए मांग के अनुसार वैक्सीन तैयार करने मे लगे हैं।