उत्तर प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार, कृषि निर्यात, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीराम चैहान ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री जी द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने की जो मंशा है, वह बागवानी फसलों से सम्भव हो सकती है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नवीनतम तकनीकी जानकारी इस गोष्ठी के माध्यम से कृषकों को उपलब्ध करायी जा रही है। सभी किसान भाई इसका लाभ उठाये तथा वैज्ञानिक तरीके से औद्यानिक फसलों की खेती करके अपनी आय दोगुनी बढ़ायें ताकि आप सभी का जीवन खुशहाल हो।
उद्यान मंत्री ने आज उद्यान भवन में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत पान की नवीनतम वैज्ञानिक विषय पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय पान गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि आदर-सत्कार के प्रतीक के रूप में पान का उल्लेख पुराणों में स्पष्ट है। हमारा प्रदेश सबसे अधिक बागवानी फसल उत्पादक राज्य है और लगभग सभी तरह के फल, फूल, शाकभाजी, मसाले, औषधीय फसलें हमारे प्रदेश में वर्ष भर विभिन्न क्षेत्रों एवं मौसम में पैदा होती हैं। उन्होंने कहा कि बागवानी फसलें प्रदेश के अधिकांश छोटी जोत के किसानों के लिये, अधिक आय, रोजगार एवं पोषण प्राप्त करने हेतु बेहतर विकल्प प्रस्तुत करती हैं। हमारे प्रदेश में पालीहाउस में बेमौसमी सब्जियों एवं फूलों के उत्पादन से रोजगार के नये अवसर सृृजित हुये हैं। हमारे दैनिक जीवन में फूलों का प्रचलन बढ़ा है।
श्री चैहान ने पान किसानों से कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पान उत्पादन को प्रधानमंत्री मौसम आधारित फसल बीमा के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है। जिसमें जून माह तक प्रीमियम जमा होगा। उन्होंने कहा कि 1000 वर्ग मी0 के लिए एक लाख का बीमा है, जिमसें पांच हजार रूपये बीमा किश्त जमा होगी। पान उत्पादकों को आश्वासन दिया की पट्टे पर ली गयी भूमि तथा ठेके पर ली गयी भूमि पर बरेजा निर्माण करने पर दी जाने वाली छूट पर शीघ्र ही निर्णय लिया जायेगा।
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श्री चैहान ने कहा कि प्रदेश में औद्यानिक विकास के अन्तर्गत पान विकास की प्रचुर सम्भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुये प्रदेश में ‘‘गुणवत्तायुक्त पान उत्पादन प्रोत्साहन योजना’’ का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में लगभग 50 हजार हेक्टेयर भूमि में पान की खेती की जाती है जिसमें से लगभग 2750 हेक्टेयर भूमि पर अकेले उत्तर प्रदेश में क्रमशः प्रमुख रूप से लखनऊ, महोबा, ललितपुर, बांदा, कानपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, हरदोई, सुल्तानपुर, बाराबंकी, वाराणसी आदि जनपदों में पान की खेती की जाती है।
उद्यान मंत्री ने कहा कि पान कटु, कडुवा, तीखा, मधुर और कसैलेपन पांच गुणों से युक्त होता है। पान खाने से वायु नहीं बढ़ता है, कफ मिटता है, कीटाणु मर जाते हैं, मुहं से दुर्गध नहीं आती है, मुख की शोभा बढ़ती है, मुंह का मैल दूर होता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में 100 से अधिक पान की किस्में उगायी हैं। राष्ट्रीय वनस्पति संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने देश के विभिन्न भागों से संग्रह करके पान के 85 नमूनों का परीक्षण करके केवल पांच प्रमुख किस्मों की खेती करने की सलाह दी है जिनमें बंगला, देशावरी, कपूरी, मीठा व सांची हैं।
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श्री चैहान ने कहा कि पान को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है जैसे मस्तिष्क पीड़ा, आवेश रोग, रतौंधी, हृदय विकार, स्तन शोध, बच्चों की सर्दी, प्रतिश्याय, मधुर आवाज, डिपथीरिया, पाचन, सूखी खांसी, सर्दी व कफ, प्यास, कब्ज, निर्बलता, ग्रन्थ सूजन, घाव आदि में पान का प्रयोग लाभदायक है। उन्होंने कहा कि पान के साथ शाकभाजी, फल, पुष्प आदि हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। इस अवसर पर सुल्तानपुर से श्री जगदीश, बाराबंकी से श्री सत्यनारायण, प्रतापगढ़ से श्री सुरेश, सीतापुर से श्री आशुतोष, लखनऊ से श्री विनोद चन्द्र तथा श्री अनुज तथा हरदोई से श्री जसकर पान किसानों को सम्मानित किया। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत पान की नवीनतम वैज्ञानिक खेती नामक विषयक स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
उद्यान निदेशक डा0 आर0के0 तोमर ने किसानों से कहा कि पान की नवीनतम वैज्ञानिक खेती करे तथा अपनी आय मंे वृद्धि करे। उन्होंने किसानों से कहा कि विभाग की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाये। उन्होंने आये हुए पान विशेषज्ञों द्वारा दी गयी जानकारी के लिए उनका आभार प्रकट किया। उपनिदेशक लखनऊ मंडल श्री वीरेन्द्र ने आये हुए अतिथियों एवं किसानांे का स्वागत करते हुए आभार प्रकट किया तथा पान की योजनाओं के बारे में विस्तार से अवगत कराया।
इस संगोष्ठी में संयुक्त निदेशक उद्यान, डा0 विजय बहादुर द्विवेदी, मुख्य उद्यान विशेषज्ञ मलिहाबाद डा0 राजीव वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी श्रीमती मीना देवी सहित उद्यान विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा बड़ी संख्या में प्रदेश से आये पान किसान उपस्थित रहे।