• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

उत्तराखंड@25 चिंतन-शिविर पर प्रख्यात न्यायविद् ने लिखी मुख्यमंत्री धामी को खुली-पाती

Writer D by Writer D
24/11/2022
in राष्ट्रीय, उत्तराखंड, राजनीति
0
CS Upadhyay

CS Upadhyay

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

प्रिय पुष्कर धामी !!

सादर-वन्देमातरम्।

यह पाती एक प्रिय छोटे-भाई एवं एक मुख्यमंत्री दोनों के लिए है।  मैंने (CS Upadhyay) पहली बार 13 दिसंबर, 2001 को आपको देखा। भगत दा तब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे और मैं लखनऊ में सीबीआई जज के रूप में तैनात था। भगत दा का भोजन उस दिन मेरे यहां था, आप उनके सहायक के रूप में उनके साथ आए थे। आज 23 नवंबर, 2022 है, इस समूचे 20 वर्ष, 1 1माह, 10 दिन में यह  रिश्ता कई खट्टी-मीठी यादें एवं अनुभव समेटता हुआ ‘जिंदा’ रहा। तीन जुलाई, 2021 को आपको उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने की औपचारिक घोषणा हुई, 4 जुलाई को शपथ और आज 23 नवम्बर 2022, समूचे 16 महीने 19 दिन में ‘भाई’ का रिश्ता मुख्यमंत्री और आवेदक के रूप में तब्दील हो गया, ऐसा स्वाभाविक है।

मैं लम्बी यात्रा के पश्चात कल स्वदेश लौटा लेकिन बाहर भी उत्तराखंड की जिंदगी को सुनता और पढ़ता रहा। उत्तराखंड@25 चिंतन शिविर में बहुत कुछ बोला-सुना व कहा गया। राज्य का मुख्य सेवक होने के नाते आपकी चिंताएं/प्रश्नाकुलता आप के प्रबोधन में सुनाई दीं। राज्य के मुख्य सचिव ने अपनी सेवा समाप्ति से कुछ माह पूर्व कई सराहनीय बातें कहीं। उनके कई अधीनस्थों ने राज्य के चहुंमुखी विकास पर बाजार के विशेषज्ञों द्वारा लिखे एवं बताये गये सुझावों कोअपने मुखारबिन्दु से प्रकट किया।

मैं (CS Upadhyay) राज्य के सचिवालय, विधानसभा एवं प्रत्येक विभागों में दशकों से अकारण लम्बित  पड़ी असंख्यों पत्रावलियों की बजाय कुछ एकाध पत्रावलियों की तरफ आपका ध्यान केन्द्रित कर रहा हूं, जहां भारत के संविधान, देश के महामहिम राष्ट्रपति, भारत की संसद एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता की आज्ञा की बिना किसी भय एवं दण्ड की परवाह किये बिना अवहेलना की जा रही है। यह विषय लिखित एवं मौखिक रूप से स्वयं मैंने आपको 6 जुलाई 2021, 14 अप्रैल, 2022 एवं 15 अक्टूबर 2022 को विस्तार से बतलाया था। एक अन्य पत्रावली में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समता का अधिकार) अनुच्छेद 15 (जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध) का स्पष्ट उल्लंघन) पिछले 11 वर्ष, 2 माह 18 दिन से हो रहा है, इससे पूर्व उल्लिखित पत्रावली में पिछले 9 वर्ष, आठ माह, 10 दिन से माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल में निर्णीत रिट याचिका संख्या 1801/2012 दिनांकित 27 फरवरी, 2015, राज्य-वादकारिता नीति, 2011 के अध्याय एक के प्रस्तर-05 में उल्लिखित सिद्धांतों एवं जांच-आख्या संख्या 283/सचिव खेल/2014 दिनांकित, 15 जनवरी का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।

-प्रख्यात न्यायविद् ने लिखी उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को खुली- पाती।  

-कहा- उत्तराखण्ड की समूची नौकरशाही करे मुझसे सार्वजनिक-बहस, उनकी कथनी-करनी के बीच दुर्लघ्य-खाई।                        

-चिन्तन-शिविर में प्रवचन सुनाने वाले कई नौकरशाह जिममेदार हैं दशकों से अकारण लम्बित पड़ी पत्रावलियों के लिए।

-बाज़ार के विशेषज्ञों के लिखे भाषणों को पढ़कर नहीं होगा उत्तराखण्ड का सर्वांगीण-विकास।

दिलचस्प यह है कि तब मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रहे और अब राज्य के पदासीन मुख्य सचिव जिन्हें हम उनके कल के भाषण के बाद ‘आई एम सॉल्यूशन फाइंडर (आईएएस) मान सकते हैं, उन्हीं की विशेषता एवं निडरता के चलते तत्कालीन  मुख्यमंत्री द्वारा प्रश्नगत-प्रकरण का अन्तिम-निस्तारण  कर दिये जाने के पश्चात पत्रावली को पुन: गतिमान कर दिया गया था। फलस्वरूप छह-छह मुख्यमंत्रियों द्वारा भी मामलों को सदा-सर्वदा के लिए समाप्त  कर दिये जाने के पश्चात बाबू अभी भी उन्हीं टीपों का उल्लेख कर रहे हैं, जिनके लिए उन्हें निर्देशित किया जा रहा है। माननीय- न्यायालय की दृष्टि में यह सिविल कानून के  रेस ज्यूटिकेटा का स्पष्ट उल्लंघन है। जहां एक मामला अंतिम निर्णीत होने के पश्चात पुरानी टीपों पर चर्चा नहीं हो सकती। इसी तरफ विधानसभा/सचिवालय में अनुकंपा पर नियुक्त एक तदथ? शोध-कर्मचारी को सलाना दर से तीन-तीन प्रमोशन दिये गये एवं विधानसभा का  सचिव बना दिया गया, यदि मामले में पीएमओ का हस्तक्षेप नहीं हुआ होता तो क्या उस पर कोई कार्रवाई होती?

मॉर्निंग वॉक पर निकले सीएम धामी ने जवानों से की मुलाकात, पूछी उनकी कुशलक्षेम

यक्ष प्रश्न यह है कि मसूरी -चिंतन शिविर में जितने बमस (बहुत महत्वपूर्ण- सज्जन) मौजूद थे, जिन्हें-जिन्हें अपनी बात कहने का मौका मिला, क्या मेरे द्वारा जो प्रश्न उठाये  गये हैं, उसके लिए कहीं न कहीं वे दोषी या जिम्मेदार नहीं है? एक मामूली क्लर्क की हिम्मत हो सकती है कि एक विधिक पत्रावली को निक्षेपित (समाप्त) करने का आदेश जारी कर दे, यह संकेत तो ऊपर से होते हैं। सीएम कॉरिडोर में, मैं वर्षों रहा हूं। कांग्रेसी मुख्यमंत्री पण्डित नारायण दत्त तिवारी और भाजपा के निशंक और नौकरशाह दिलीप कुमार कोटिया  से मैंने पत्रावलियों के त्वरित-निस्तारण के गुण सीखे हैं। पत्रावलियां कैसे गति पकड़ती हैं, कैसे रोकी जाती हैं, मैं बखूबी जानता हूं।

उल्लिखित पत्रावलियों का उक्त पत्र में सम्पूर्ण उल्लेख संभव नहीं है लेकिन मेरी अपील है कि आप एक तिथि एवं समय निश्चित करें, देहरादून के परेड ग्राउंड में राज्य के सभी बमस (बहुत महत्वपूर्ण- सज्जन)/नौकरशाह, महाधिवक्ता, विधि-विधायी एवं संसदीय-कार्य मामलों के विशेषज्ञ एकत्रित हों, दूसरी तरफ से सिर्फ मैं अकेला बात करूंगा, यदि उल्लिखित- पत्रावलियों में कुछ अविधिक, अनियमित एवं असांविधानिक है तो मैं सार्वजनिक क्षमा याचना कर उत्तराखंड छोड़ दूंगा, अन्यथा क्या जिम्मेदार लोगों को आप दंडित करेंगे, क्योंकि मामला यदि न्यायालय में चला गया तो सभी जिम्मेदार जेल की सलाखों में होंगे। मैं न्यायालय नहीं जाना चाहता, क्योंकि इससे मेरे पूर्वजों का दल ‘घायल’ हो जायेगा।

अचानक चिंतन शिविर में पहुंचे सीएम धामी, श्रोता बनकर सुने सभी के विचार

भारतीय जनसंघ से आज की भाजपा तक मेरी चार पीढ़ियों का बलिदान है, आज जो ऐश्वर्य दिखायी देता है, उस राज- सिंहासन की नींव में मेरे जैसे अनगिनत परिवारों के खून और आंसू हैं। उत्तराखंड से मेरा जाना श्रद्धेय नाना (नानाजी देशमुख), परम पूज्य रज्जू भैया एवं हो.वि. शेषाद्रि के उस सपने की हार होगी, जिस योजना एवं रचना के तहत वह उत्तराखंड को देश का पहला राज्य बनाना चाहते थे, जिसकी हाईकोर्ट में हिन्दी भाषा में कामकाज हो और निर्णय भी हिन्दी में ही पारित हों, आपको यह स्मरण भी रखना होगा।

सादर!

चन्द्रशेखर पंडित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय (CS Upadhyay), न्यायविद्

प्रपौत्र पंडित दीनदयाल  उपाध्याय, स्थापना एवं प्रेरणा  पुरुष भारतीय जनसंघ पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी।

जयपुर, 23 नवम्बर, 2022

बुधवार, सायंकाल 04.00बजे

Tags: chintan shivircm dhamiCS Upadhyaydehradun newshindi se nyayNational newsuttarakhand @ 25Uttarakhand News
Previous Post

एक बार फिर कोरोना ने मचाया तांडव, इस शहर में लौटा लॉकडाउन

Next Post

आसिम मुनीर होंगे पाकिस्तान के नए चीफ आर्मी, जनरल बाजवा की लेंगे जगह

Writer D

Writer D

Related Posts

Gorakshapeeth is an example of the ideal relationship between Guru and disciple
Main Slider

गुरुपूर्णिमा: गुरु शिष्य के आदर्शतम रिश्ते की मिसाल है गोरक्षपीठ

05/07/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

नई पहल : योगी सरकार किसानों को बना रही ब्रांड एंबेसडर

05/07/2025
AK Sharma
उत्तर प्रदेश

प्रदेश सरकार का प्रयास है कि दुनिया के कोने कोने तक अपनी मिठास और खुशबू को फैलाए आम: एके शर्मा

05/07/2025
राष्ट्रीय

जनमन के हक पर डाका डालने वालों की प्रशासन ने मरोड़ी गर्दन, प्राथमिकी दर्ज

05/07/2025
CM Dhami
Main Slider

उत्तराखंड केवल देवभूमि नहीं, बल्कि खेलभूमि के रूप में भी बना रहा है अपनी पहचान: धामी

05/07/2025
Next Post
Asim Munir

आसिम मुनीर होंगे पाकिस्तान के नए चीफ आर्मी, जनरल बाजवा की लेंगे जगह

यह भी पढ़ें

Mahananda Navami

आज मनाई जाएगी महानंदा नवमी, जानें पूजा विधि

21/12/2023
Millet

छोटे किसानों का संबल बनेंगे श्रीअन्न

30/03/2023
Mulayam Singh

नहीं रहे उत्तर प्रदेश के  कद्दावर जननेता: राम नाईक

10/10/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version