आगरा : ताज के शहर आगरा में अंधे मोड़ बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं। जिले में हादसों के लिए 46 कटों को ब्लैक स्पॉट के रूप में अंकित किया गया है। इन खतरनाक मोड़ों पर हर 48 घंटों में तीन लोगों की जान जा रही है और पांच लोग घायल हो रहे हैं। पहले तो हादसों का ग्राफ और भी चिंताजनक था। पिछले साल से हादसों में कमी लाने के लिए कई योजनाएं बनाई गई थीं।
राष्ट्रीय राजमार्ग ही नहीं, शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले एमजी रोड पर भी हादसों की रफ्तार तेज है। यह जानकारी आगरा में हादसे रोकने के लिए जिला प्रशासन को भेजी गई परिवहन आयुक्त की ब्लैक स्पॉट रिपोर्ट में है।जिला प्रशासन को चेताया गया है कि हादसे रोकने के लिए और उपाय किए जाएं।
NCP की महिला कार्यकर्ता की बाइक सवारों ने की हत्या, जांच में जुटी पुलिस
सूबे में एक साल में गई 22,635 लोगों की जान
प्रदेशभर में 2019 में सड़क हादसों में 22,635 लोगों की जान गई। इनमें 35.3 फीसदी मौतें आगरा और मथुरा समेत 15 शहरों में हुई हैं। 2019 में अकेले आगरा में 1085 हादसों में 616 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 585 लोगों ने 46 ब्लैक स्पॉट पर दम तोड़ा है> पिछले साल आगरा में सड़क हादसे रोक कर 10 फीसदी मौतें कम करने का लक्ष्य था, जो सितंबर 2020 तक 30% बढ़ गया है। इसके बाद अब परिवहन विभाग, पुलिस, निर्माण एजेंसियां, स्वास्थ्य विभाग समेत छह विभागों की संयुक्त कमेटी बनाकर कोहरा शुरू होने से पहले एक्शन प्लान लागू करने में जुट गई है। 46 ब्लैक स्पॉट में से 37 स्पॉट तीन माह में बंद करने की योजना पर काम भी शुरू हो गया है।