लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने का काम तो तेजी से चल रहा है, साथ ही अन्य दवाओं की भी खोज जारी है, जिनसे इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सके। इस बीच साइंसेज एडवांसेज नामक पत्रिका में कोरोना के इलाज से संबंधित एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें यह दावा किया गया है कि बैरीसिटनिब दवा कोरोना से संक्रमित बुजुर्ग मरीजों की मौत के जोखिम को घटा सकती है। इस दवा का इस्तेमाल रूमेटाइड अर्थराइटिस (संधिवात गठिया) के इलाज में किया जाता है। इस नए शोध को कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक अहम हथियार माना जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शोध के लिए 83 कोरोना मरीजों को चुना गया था, जिनमें गंभीर लक्षण दिखाई दिए थे। इन मरीजों की औसत आयु 81 साल थी। उन्हें इलाज के तौर पर बैरीसिटनिब नाम की गठिया की दवा दी गई, जो असरदार साबित हुई।
शोध के दौरान पाया गया कि जिन लोगों ने बैरीसिटनिब दवा का सेवन नहीं किया था, उनकी तुलना में इस दवा का सेवन करने वाले लोगों में मौत का खतरा 71 फीसदी तक कम हो गया। जिन मरीजों ने इस दवा का सेवन किया, उनमें 17 फीसदी लोगों की या तो मौत हुई या फिर उन्हें जीवनरक्षक प्रणाली पर रखने की जरूरत पड़ी, जबकि इस दवा का इस्तेमाल नहीं करने वाले मरीजों में 35 फीसदी लोगों ने इस स्थिति का सामना किया।
इस शोध रिपोर्ट के सह लेखक और इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर जस्टिन स्टेब्बिंग कहते हैं कि जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक कोरोना के इलाज के लिए ऐसी दवाओं की सख्त जरूरत है जो कोरोना से मौत का खतरा कम कर सके और जान बचा सके।