लखनऊ के दशहरी आम का डिमांड आसपास ही नहीं, गुजरात, जम्मू, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, बंगाल, असम तक है। इसके स्वाद को चखने के लिए सिर्फ प्रदेशवासी ही नहीं गुजरात से लेकर आसाम तक के लोग आतुर रहते हैं। यही कारण है कि गर्मियों की शुरुआत होते ही दशहरी आम की बड़ी पैमाने पर खरीदारी के लिए इन राज्यों से खरीददार लखनऊ आ जाते हैं।
लखनऊ के मलिहाबाद में दशहरी आम की पैदावार हर वर्ष की तरह इस बार भी हुई है। आम उत्पादन से जुड़े किसानों की मेहनत रंग लायी है। बाजारों में दशहरी फुटकर में भी बिकना शुरू है। फुटकर में प्रति किलो आम की कीमत 30 से 40 रूपये है।
लखनऊ के बाहर जाने वाली दशहरी का मूल्य अन्य राज्यों में 60 रुपये किलो से लेकर 100 रुपये तक है। जिसका कारण लखनऊ से उन राज्यों तक पहुंचने का ट्रांसपोर्ट भाड़ा व अन्य खर्चो का जुड़ना है।
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दशहरी आम के कारोबारी अहमद उल्ला खान ने बताया कि दशहरी आम बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की पहली पसंद है। लखनऊ के दशहरी आम की कलम ले जाकर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा जैसे राज्यों में भी लगाया गया है लेकिन लखनऊ जैसा स्वाद अभी भी कहीं मिल नहीं सका है।
बताया कि मलिहाबाद के दशहरी आम का डिमांड सबसे ज्यादा गुजरात, महाराष्ट्र व आसाम में है। वहां के आम व्यापारी पेड़ में बउर आते ही बगीचे के बगीचे खरीद लेते हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण जरूर प्रभावित रहा। फिर सरकार के पहल से शेष बचे आमों को अन्य राज्यों में डिमांड के अनुसार भेजा जा रहा है।
लखनऊ के मलिहाबाद की तहसीलदार मीनाक्षी द्विवेदी ने बताया कि मलिहाबाद और आसपास के क्षेत्र में आम की कारोबार से जुड़े किसानों को सरकार से तमाम सुविधाएं और योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। किसानों के आम पैदावार से जुड़ी समस्याओं को वह स्वयं अपने स्तर पर देखती हैं और समस्याओं का निस्तारण कराने का प्रयास करती हैं।
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आम किसानों की तरह ही आम की खरीद बिक्री करने वाले व्यापारियों को दशहरी आम के मौसम का इंतजार रहता है। आम के कारोबार से जुड़े व्यापारियों के लिए यह मौसम एक वर्ष तक रोजी रोटी की व्यवस्था करता है। बताया कि वर्तमान समय में आम कारोबारियों को स्थानीय ट्रांसपोर्टरों से समस्या भी झेलनी पड़ रही है। जिसका कारण स्थानीय ट्रांसपोर्टर आम को ले जाने और ले आने के लिए स्थानीय वाहनों का उपयोग करने की मांग करते हैं जबकि आम कारोबारी बाहर से कम रेट पर वाहन मंगा ले रहे हैं।