लखनऊ| उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति लागू करने की कार्ययोजना बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए शिक्षकों से भी सुझाव लिए जाएंगे। शासन ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित विषयों पर वेबिनार या वर्चुअल कांफ्रेंस कराने के निर्देश दिए हैं।
क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि वे नई शिक्षा नीति 2020 के प्रस्तावित विषयों में से कोई एक विषय चुनते हुए अपने क्षेत्र में आने वाले राजकीय या सहायता प्राप्त महाविद्यालय में वेबिनार आयोजित करने की तिथियां निर्धारित करते हुए इसकी सूचना पांच सितंबर तक उपलब्ध कराएं।
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वेबिनार में उच्चतर शिक्षा संस्थानों को बड़े और बहुविषयक विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों के रूप में विकसित करने के लिए कार्ययोजना बनाने एवं उसका क्रियान्वयन करने, श्रेणीबद्ध मान्यता की एक पारदर्शी प्रणाली के माध्यम से महाविद्यालयों को ग्रेडेड स्वायत्तता देने के लिए चरणबद्ध प्रक्रिया की स्थापना पर विचार-विमर्श करने, उच्चतर शिक्षा संस्थानों के लिए सार्वजनिक वित्तपोषण की व्यवस्था के लिए सुझाव प्राप्त करने, उच्चतर शिक्षण संस्थानों द्वारा जीवन पर्यंत सीखने के अवसरों को मुहैया कराने के लिए दूरस्थ शिक्षा एवं आनलाइन कोर्स को संचालित करने की योजना बनाने एवं सुझाव देने, डिग्री कार्यक्रमों की अवधि एवं संरचना में बदलाव के लिए विचार-विमर्श करने और शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए कार्ययोजना बनाने जैसे विषयों पर चर्चा करने को कहा गया है।
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इसके अलावा डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केए पांडेय, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा तथा दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर के बीएड विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर राज शरण शाही को सदस्य नामित किया गया है।