उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और वह हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार आज भी हमारे बीच में जिंदा है।
श्री शर्मा आज यहां डॉ मुखर्जी की 120वीं जयंती के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई द्वारा जूम एप के माध्यम से आयोजित ई-चिंतन सत्र: डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी “जीवन एवं विचार” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि वे बचपन से ही मेधा शक्ति के धनी व्यक्ति थे। डॉ0 मुखर्जी एक श्रेष्ठ शिक्षाविद, एक विधि विशेषज्ञ, एक कुशल उद्योग मंत्री, कुशल संगठनकर्ता, राष्ट्रभक्त, किसी भी संप्रदाय का विरोध न करने वाले एवं भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले राष्ट्रनेता के रूप में जाने जाते हैं । उन्होंने भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अपना समर्पण किया।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ मुखर्जी के नेतृत्व में भारत की औद्योगिक नीति के निर्माण में अहम योगदान दिया। उन्होंने लघु उद्योगों को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया। डॉ मुखर्जी ने देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान का हमेशा विरोध किया । उन्होंने देश में सामाजिक परिवर्तन की एक अलग लौ जगाई थी। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन के लिए अनेक कार्य भी किए। आजादी के महासंग्राम में डा0 मुखर्जी एक प्रखर राष्ट्रवादी के रूप में उभर कर सामने आए और अकाल के समय में उन्होंने एक महामानव के रूप में बहुत ही सराहनीय कार्य किया था।
केजरीवाल बताएं, यूपी से महंगे मेडिकल उपकरण क्यों खरीदे : खन्ना
आजादी की लड़ाई के दौरान भारत और भारतीयों को उनके अधिकारों को दिलाए जाने के लिए डा0 मुखर्जी ने अंग्रेजों के बीच आवाज बुलंद की थी। उन्होंने अंग्रेजों की भारतीयों को आपस में बांटने की नीति का पुरजोर विरोध किया और भारत को वास्तविक रूप में एकजुट करने का प्रयास किया था।
डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने भी कई अवसरों पर डॉ श्यामा प्रसाद जी की प्रशंसा की थी। औद्योगिक नीति को बनाने में डॉ मुखर्जी का अहम योगदान था । उनके प्रयासों से ही वर्तमान कोलकाता को पाकिस्तान में जाने से रोका जा सका था। डॉक्टर मुखर्जी धारा 370 के प्रखर विरोधी थे। वर्तमान सरकार ने धारा 370 को समाप्त कर दिया और उसके सुपरिणाम आज दिखाई पड़ रहे हैं। आज डॉ मुखर्जी के सपनों को साकार किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजादी के महासंग्राम में एक प्रखर राष्ट्रवादी के रूप में उभर कर सामने आए थे। उन्होंने स्वयं सेवक एवं समाजसेवी के रूप में अकाल ग्रस्त लोगों की मदद भी की थी। उन्होंने देश को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत करने एवं ऐसे राष्ट्र के रूप में संगठित करने का सपना देखा था जो भारत को वास्तविक रूप में एकजुटता के रूप में आगे ला सके।