धर्म डेस्क। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वे अपने भक्तों की सारी परेशानियां, विघ्न बाधाएं दूर करते हैं। गणेश जी को गणों का स्वामी होने के कारण गणपति भी कहा जाता है। सभी देवताओं में गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए कोई भी कार्य करने के पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इससे कोई भी कार्य निर्विघ्न रुप से संपन्न हो जाता है।
गणेश जी को बुद्धि का देवता भी माना गया है। किसी भी कार्य में बाधा आ रही है तो गणेश जी को प्रसन्न करके उन बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इन छोटे सरल उपायों को करके आप गणेश जी की कृपा पा सकते हैं।
दूर्वा घास गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है, दूर्वा से गणेश जी की पूजा करना चाहिए। गणपति अथर्वशीर्ष में भी व्यक्ति गणेश जी की पूजा दुर्वांकुर से करने का महत्व बताया गया है। जो भक्त दूर्वा से गणेश जी की पूजा करते हैं, उनके पास धन की कोई कमी नहीं रहती है। गणेश जी को बुधवार के दिन दूर्वा ग्यारह या इक्कीस गांठे अर्पित करनी चाहिए।
गणेश जी को चढ़ाने के लिए सदैव दूर्वा का सबसे ऊपरी हिस्सा लेना चाहिए। जिसमें तीन पत्तियां हों। ऐसी दूर्वा श्रेष्ठ मानी जाती है। इससे आपको कार्यों में आर रही बाधाएं दूर होंगी।
गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय हैं। इसलिए गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाएं। सच्चे मन से मोदक का भोग लगाने से बप्पा अपने भक्त की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। अथर्वशीष में बताया गया है कि मोदक का भोग लगाने वाले का गणपति जी मंगल करते हैं।
गणपति जी की पूजा में घी भी अर्पित करना चाहिए, घी को पुष्टीवर्धक माना गया है। गणेश जी की पूजा में घी का बहुत महत्व माना गया है। गणेश जी को घी अर्पित करने से बुद्धि तेज होती है। जिससे व्यक्ति हर कार्य में सफलता हासिल करता है।
गणेश जी को चाबल भी अर्पित किए जाते हैं। लेकिन गणेश जी को अर्पित किए जाने वाले चावल टूटे हुए न हो। उन्हें साबुत चावल अर्पित करने चाहिए। पूजा में अर्पित करने वाले चावलों को अक्षत कहा गया है, क्योंकि पूजा में चढ़ाए जाने वाले चावल खंडित नहीं होते हैं। गणेश जी को चावल अर्पित करने से पहले उन्हें गीला करना चाहिए। अक्षत अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप करें और तीन बार गणेश जी को चावल चढ़ाएं। इससे आपको कष्टों से छुटाकारा मिलेगा।
‘इदं अक्षतम् ऊं गं गणपतये नम:।