लाइफ़स्टाइल डेस्क। कोरोना संक्रमण उन लोगों में ज्यादा खतरनाक देखा गया है जिनको पहले से ही गंभीर बीमारियां हैं। इस वायरस का सबसे ज्यादा असर शुगर के मरीजों में देखने को मिल रहा है। एक्सपर्ट के अनुसार ऐसे मरीजों में कोरोना का खतरा 50 फीसद तक ज्यादा है, क्योंकि इनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ब्रिटेन में हुए एक रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से 33 फीसद लोग डायबिटिक टाइप 2 के पेशेंट थे। फ्रांस में हुई रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना संक्रमित 10 में से एक शुगर पेशेंट की हर 7 दिन में मौत हो रही है। ऐसे में शुगर पेशेंट को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।
डायबिटीज दो तरह की देखी जाती है। लेवल-1 टाइप डायबिटीज वो है जो बचपन से होती है, वहीं टाइप-2 का मोटापे की वजह से होना देखा गया है। इसका ज्यादातर शिकार 40 साल से ज्यादा उम्र वाले होते हैं। दोनों तरह की डायबिटीज का इलाज भी अलग-अलग होता है।
डायबिटीज एक तरह से मल्टी सिस्टम बीमारी है। यह शरीर के अंगों को कमजोर भी करती है। देखने में आया है कि शुगर की बीमारी कोरोना को आकर्षित करती है, क्योंकि शुगर से ही वायरस को खाना मिलता है और इसकी ताकत बढ़ती है।
डायबिटीक पेशेंट में इंसुलिन लेने के बाद ही संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। इंसुलिन ब्लड में शुगर लेवल को कम करने का काम करती है, लेकिन बॉडी का शुगर कम नहीं करती है। ऐसे में इंसुलिन का असर वायरस पर बेअसर हो जाता है और संक्रमण का खतरा कम नहीं होता है।