उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये समाजवादी पार्टी (सपा) से आमने-सामने की टक्कर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी सपना सिंह के 27 मतों के अंतर से जीतने के साथ ही आजादी के बाद से अब तक का एक बड़ा रिकॉर्ड भी बन गया।
वर्तमान समय में जिले में तीन विधायक एक नगर पालिका परिषद अध्यक्ष व अब जिला पंचायत अध्यक्ष भी महिला चुन ली गई है। खास बात कि उपरोक्त सभी महिलाएं भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती हैं। इनमें से जहां नगर पालिका परिषद अध्यक्ष व जिला पंचायत अध्यक्ष को महिला के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ना पड़ा वहीं तीनों विधायक सामान्य सीट पर चुनाव लड़कर विजयी हुई हैं। विशेष बात यह कि उपरोक्त सभी महिला जनप्रतिनिधि अपने प्रथम प्रयास में ही चुनाव जीतकर सफलता का सेहरा सर पर बांध चुकी हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए शनिवार को हुए मतदान के बाद मतगणना में भाजपा की सपना सिंह को 47 मत प्राप्त हुए। वहीं सपा की कुसुमलता को 20 मत प्राप्त हो सके थे। इस तरह भाजपा प्रत्याशी सपना सिंह 27 मतों से विजयी होकर जिला पंचायत अध्यक्ष बन गई।
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गौरतलब हो कि वर्तमान समय में गाजीपुर जिले में मोहम्मदाबाद से अलका राय, जमानियां से सुनीता सिंह व गाजीपुर सदर से संगीता बलवंत विधायक हैं। इन तीन महिला विधायक के साथ ही गाजीपुर नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सरिता अग्रवाल भी महिला हैं। इसके साथ ही अब जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में सपना सिंह भी महिला चुन ली गई हैं। जिससे एक तरह से कहा जाए कि जिले की राजनीति में आधी आबादी का कब्जा हो गया है।
इनमें से नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सरिता अग्रवाल व नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह को जहां उनकी सीट महिला के लिए आरक्षित होने का लाभ मिला है वहीं तीनों महिला विधायक सामान्य सीट पर चुनाव लड़ते हुए विजेता बनी है। भाजपा के जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने कहा “ हमारी पार्टी ने हमेशा से समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा है। भाजपा एक ऐसी पार्टी रही जिसने 2017 के विधानसभा चुनाव में गाजीपुर की सात सीटों में से 5 पर लड़ने के लिए 3 महिलाओं को टिकट दिया जो अपने चुनाव में सफल रही जबकि 2 सीट गठबंधन के तहत सुभासपा के खाते में चली गई थी।
भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सरोज कुशवाहा ने कहा “ पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से मैं भाजपा की राजनीति कर रही हूं। यह एक ऐसी पार्टी है जिसमें कभी जाति, धर्म, ऊँच नीच या किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। सभी कार्यकर्ताओं को समभाव की देखा जाता है। ऐसे में जनपद की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महिला सशक्तिकरण के उदाहरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है।”