बेंगलुरु। कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) ने गुरुवार को कुछ ऐसा कह दिया, जिसके बाद कर्नाटक कांग्रेस में सबकुछ ठीक ना होने की अटकलें शुरू हो गई हैं। दरअसल डीके शिवकुमार ने कहा कि पूर्व की सिद्धारमैया सरकार आलोचना से डर गई थी और इसने बासवेश्वर सर्किल से लेकर हेब्बल जंक्शन तक बेंगलुरु में स्टील फ्लाइओवर के निर्माण के प्रस्तावित प्रोजेक्ट को रोक दिया था। डीके शिवकुमार ने कहा कि अगर वह होते तो वह दबाव में नहीं आते।
‘डर गए थे सिद्धारमैया…’
डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) ने कहा कि कई लोग मुझे सुरंग और फ्लाइओवर निर्माण की सलाह देते हैं। सिद्धारमैया सरकार के पिछले कार्यकाल में, वह एक स्टील का पुल बनाना चाहते थे लेकिन इसे लेकर खूब विवाद हुआ और लोगों ने धरने प्रदर्शन किए। सिद्धारमैया और केजे जॉर्ज डर गए। शिवकुमार ने कहा कि अगर मैं उनकी जगह होता तो मैं नहीं डरता और प्रोजेक्ट को पूरा करता।
बता दें कि बेंगलुरु में बढ़ती ट्रैफिक समस्या को दूर करने के लिए स्टील के पुल निर्माण की योजना बनाई गई थी। इस प्रोजेक्ट पर 1800 करोड़ रुपए का खर्च आना था। यह फ्लाइओवर बासवेश्वर सर्किल से हेब्बल फ्लाइओवर तक बनाया जाना था और इसकी लंबाई 6.7 किलोमीटर प्रस्तावित थी। हालांकि इस प्रोजेक्ट के खिलाफ बेंगलुरु के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रोजेक्ट की आलोचना के बाद बेंगलुरु डेवलेपमेंट अथॉरिटी ने साल 2016 में इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया और सिद्धारमैया सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट में हलफनामा देकर कहना पड़ा था कि वह प्रोजेक्ट नहीं करेंगे।
डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) के बयान से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) और सिद्धारमैया के बीच सीएम पद को लेकर काफी खींचतान हुई थी। हालांकि पार्टी आलाकमान के समझाने पर शिवकुमार डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार हुए थे लेकिन एक महीने बाद ही उन्होंने जिस तरह से खुलकर सिद्धारमैया के डरने की बात कही है, उससे संकेत मिल रहे हैं कि कर्नाटक कांग्रेस में अभी भी सबकुछ ठीक नहीं है। हालांकि पार्टी ने इस मामले को तूल नहीं दिया है लेकिन जिस तरह से शिवकुमार के बयान की चर्चा हो रही है, उससे संकेत मिल रहे हैं कि डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सबकुछ सामान्य नहीं है।
हिंसा पीड़ितों से मिलने मणिपुर पहुंचे राहुल गांधी, राहत कैंप से पहले रोका गया काफिला
शिवकुमार के बयान पर कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने सामान्य करने की कोशिश की और कहा कि ‘मैं ये नहीं कहूंगा कि सिद्धारमैया डर गए थे…मुख्यमंत्री जनता की राय के प्रति संवेदनशील हैं और कभी-कभी अच्छे फैसलों में देर हो जाती है। मुझे लगता है कि उपमुख्यमंत्री के कहने का अर्थ भी यही था।’